मिल Poetry (page 18)
गुरेज़
सलाम मछली शहरी
आज फिर ये कह रहा हूँ
सलाम मछली शहरी
तुम्हें मिरे ख़याल की मुसव्विरी क़ुबूल हो
सलाम मछली शहरी
हम ऐसे लोग जल्द असीर-ए-ख़िज़ाँ हुए
सलाम मछली शहरी
उन की चुटकी में दिल न मल जाता
सख़ी लख़नवी
घर में साक़ी-ए-मस्त के चल के
सख़ी लख़नवी
उस सादा-दिल से कुछ मुझे 'बाक़र' गिला न था
सज्जाद बाक़र रिज़वी
है दुकान-ए-शौक़ भरी हुई कोई मेहरबाँ हो तो ले के आ
सज्जाद बाक़र रिज़वी
हर तमन्ना दिल से रुख़्सत हो गई
साजिद सिद्दीक़ी लखनवी
सोच की लहरों का मजमा' ठीक है
साजिद असर
हर आइने में तिरे ख़द्द-ओ-ख़ाल आते हैं
साजिद अमजद
पंक्चुवेशन
साइमा असमा
सुनते रहते हैं फ़क़त कुछ वो नहीं कह सकते
साइमा असमा
मयस्सर ख़ुद निगह-दारी की आसाइश नहीं रहती
साइमा असमा
दिल के शजर को ख़ून से गुलनार देख कर
सैफ़ ज़ुल्फ़ी
वो पर्दा ज़ीनत-ए-दर के सिवा कुछ और नहीं
सैफ़ बिजनोरी
फ़िक्र-ए-ज़र में बिलकता हुआ आदमी
साहिर शेवी
तेरा मिलना ख़ुशी की बात सही
साहिर लुधियानवी
कोई तो ऐसा घर होता जहाँ से प्यार मिल जाता
साहिर लुधियानवी
जो मिल गया उसी को मुक़द्दर समझ लिया
साहिर लुधियानवी
गर ज़िंदगी में मिल गए फिर इत्तिफ़ाक़ से
साहिर लुधियानवी
चंद कलियाँ नशात की चुन कर मुद्दतों महव-ए-यास रहता हूँ
साहिर लुधियानवी
ये महलों ये तख़्तों ये ताजों की दुनिया
साहिर लुधियानवी
रद्द-ए-अमल
साहिर लुधियानवी
प्यार का तोहफ़ा
साहिर लुधियानवी
नाकामी
साहिर लुधियानवी
मुफ़ाहमत
साहिर लुधियानवी
हिरास
साहिर लुधियानवी
गुरेज़
साहिर लुधियानवी
फ़रार
साहिर लुधियानवी
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