मिल Poetry (page 17)

दर्द के इताब ले दोस्त उसे शुमार कर

साक़ी फ़ारुक़ी

करनी नहीं है दुनिया में इक दुश्मनी मुझे

संजीव आर्या

गई नहीं तिरे ज़ुल्म-ओ-सितम की ख़ू अब तक

संजय मिश्रा शौक़

शायद सवाब तुम को भी मिल जाए सब के साथ

संदीप कोल नादिम

ख़ामोश धड़कनों की सदा की किसे ख़बर

संदीप कोल नादिम

वो पल

सलमान अंसारी

बग़दाद

सलमान अंसारी

वो दूर था तो बहुत हसरतें थीं पाने की

सालिम सलीम

मिरे ठहराव को कुछ और भी वुसअत दी जाए

सालिम सलीम

ख़ुद अपनी ख़्वाहिशें ख़ाक-ए-बदन में बोने को

सालिम सलीम

हंगामा-ए-सुकूत बपा कर चुके हैं हम

सालिम सलीम

एक हंगामा बपा है अर्सा-ए-अफ़्लाक पर

सालिम सलीम

वुसअ'त-ए-दामान-ए-दिल को ग़म तुम्हारा मिल गया

सालिक लखनवी

बड़ी ही अँधेरी डगर है मियाँ

सलीम शीराज़ी

शहरयारों ने दिखाईं मुझ को तस्वीरें बहुत

सलीम शहज़ाद

सदियों के रंग-ओ-बू को न ढूँडो गुफाओं में

सलीम शहज़ाद

उस को मिल कर देख शायद वो तिरा आईना हो

सलीम शाहिद

तर्ज़-ए-इज़हार में कोई तो नया-पन होता

सलीम शाहिद

जो मिरी रियाज़त-ए-नीम-शब को 'सलीम' सुब्ह न मिल सकी

सलीम कौसर

पुराने साहिलों पर नया गीत

सलीम कौसर

मैं ख़याल हूँ किसी और का मुझे सोचता कोई और है

सलीम कौसर

कहीं तुम अपनी क़िस्मत का लिखा तब्दील कर लेते

सलीम कौसर

अभी मौजूद थी लेकिन अभी गुम हो गई है

सलीम फ़राज़

रस्म-ए-जहाँ न छूट सकी तर्क-ए-इश्क़ से

सलीम अहमद

राख

सलीम अहमद

मशरिक़ हार गया

सलीम अहमद

वो लोग भी हैं जो मौजों से डर गए होंगे

सलीम अहमद

तर्क उन से रस्म-ओ-राह-ए-मुलाक़ात हो गई

सलीम अहमद

मुझ को दुश्वार हुआ जिस का नज़ारा तन्हा

सलीम अहमद

जो बात दिल में थी वो कब ज़बान पर आई

सलीम अहमद

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