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Collection: महफ़िल Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 16 - Darsaal

महफ़िल Poetry (page 16)

मोहब्बत हासिल-ए-दुनिया-ओ-दीं है

राम कृष्ण मुज़्तर

किस तरह जीते हैं ये लोग बता दो यारो

राजेन्द्र कृष्ण

इस भरी दुनिया में कोई भी हमारा न हुआ

राजेन्द्र कृष्ण

'नदीम' उन की ज़बाँ पर फिर हमारा नाम है शायद

राज कुमार सूरी नदीम

ढल गई हस्ती-ए-दिल यूँ तिरी रानाई में

रईस अमरोहवी

शोरिश-ए-पैहम भी है अफ़्सुर्दगी-ए-दिल भी है

राही शहाबी

साथ ले कर अपनी बर्बादी के अफ़्साने गए

राही शहाबी

तबाही बस्तियों की है निगहबानों से वाबस्ता

राही कुरैशी

हम क्या जानें क़िस्सा क्या है हम ठहरे दीवाने लोग

राही मासूम रज़ा

कहाँ न-जाने चला गया इंतिज़ार कर के

इरफ़ान सत्तार

हमें नहीं आते ये कर्तब नए ज़माने वाले

इरफ़ान सत्तार

ख़ंदगी ख़ुश लब तबस्सुम मिस्ल-ए-अरमाँ हो गए

इरफ़ान अहमद मीर

हम बाग़-ए-तमन्ना में दिन अपने गुज़ार आए

इरम लखनवी

अंजाम-ए-वफ़ा भी देख लिया अब किस लिए सर ख़म होता है

इक़बाल सुहैल

हर मोड़ नई इक उलझन है क़दमों का सँभलना मुश्किल है

इक़बाल सफ़ी पूरी

अहल-ए-फ़न अहल-ए-अदब अहल-ए-क़लम कहते रहे

इक़बाल माहिर

इश्क़ इतना कमाल रखता है

इक़बाल हुसैन रिज़वी इक़बाल

दिल-ए-मुज़्तर को हम कुछ इस तरह समझाए जाते हैं

इक़बाल हुसैन रिज़वी इक़बाल

बुझ गई दिल की किरन आईना-ए-जाँ टूटा

इक़बाल हैदर

तुम ग़ैरों से हँस हँस के मुलाक़ात करो हो

इक़बाल अज़ीम

अल्लाह रे यादों की ये अंजुमन-आराई

इक़बाल अज़ीम

ऐ अहल-ए-वफ़ा दाद-ए-जफ़ा क्यूँ नहीं देते

इक़बाल अज़ीम

टुक आँख मिलाते ही किया काम हमारा

इंशा अल्लाह ख़ान

गली से तेरी जो टुक हो के आदमी निकले

इंशा अल्लाह ख़ान

आसमानों से न उतरेगा सहीफ़ा कोई

इंद्र मोहन मेहता कैफ़

होते होंगे इस दुनिया में अर्श के दा'वेदार बुलंद

इनाम हनफ़ी

उस का बदन भी चाहिए और दिल भी चाहिए

इमरान-उल-हक़ चौहान

तेरी मुश्किल किसी को क्या मालूम

इमरान शमशाद

हमारी मोहब्बत नुमू से निकल कर कली बन गई थी मगर थी नुमू में

इमरान शमशाद

वो शाम ढले तेरा मिलना वो तेरा हँसाना याद नहीं

इमरान साग़र

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