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Collection: मौसम Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 2 - Darsaal

मौसम Poetry (page 2)

ताबा कै

ज़िया जालंधरी

रास्ते तीरा सही सीने तो बे-नूर नहीं

ज़िया जालंधरी

कितनी देर और है ये बज़्म-ए-तरब-नाक न कह

ज़िया जालंधरी

देखें आईने के मानिंद सहें ग़म की तरह

ज़िया जालंधरी

हुस्न है मोहब्बत है मौसम-ए-बहाराँ है

ज़िया फ़तेहाबादी

मिरी आँखों में जो थोड़ी सी नमी रह गई है

ज़िया फ़ारूक़ी

इश्क़ ने कर दिया क्या क्या सुख़न-आरा तिरे नाम

ज़िया फ़ारूक़ी

रात अजब आसेब-ज़दा सा मौसम था

ज़ेहरा निगाह

शहर के एक कुशादा घर में

ज़ेहरा निगाह

एक लड़की

ज़ेहरा निगाह

रात अजब आसेब-ज़दा सा मौसम था

ज़ेहरा निगाह

ख़ुद-कलामी ख़ातून-ए-ख़ाना की

ज़ेहरा अलवी

नज़्म

ज़ीशान साहिल

नज़्म

ज़ीशान साहिल

महमूद दरवेश के लिए ख़त

ज़ीशान साहिल

दूसरा आसमान

ज़ीशान साहिल

चाक़ू

ज़ीशान साहिल

यूँ बोली थी चिड़िया ख़ाली कमरे में

ज़ीशान साहिल

रात दमकती है रह रह कर मद्धम सी

ज़ेब ग़ौरी

दिल का मौसम ज़र्द हो तो कुछ भला लगता नहीं

ज़मीर अज़हर

दिल का मौसम ज़र्द हो तो कुछ भला लगता नहीं

ज़मीर अज़हर

रात का हुस्न भला कब वो समझता होगा

ज़ाकिर ख़ान ज़ाकिर

ग़ज़ल के शानों पे ख़्वाब-ए-हस्ती ब-चश्म-ए-पुर-नम ठहर गए हैं

ज़ाकिर ख़ान ज़ाकिर

महकी शब आईना देखे अपने बिस्तर से बाहर

ज़काउद्दीन शायाँ

हरे मौसम खिलेंगे सोना बन के ख़ाक बदलेगी

ज़काउद्दीन शायाँ

तुम हब्स के मौसम को ज़रा और बढ़ा लो

ज़ाहिद मसूद

कल रात बहुत ज़ोर था साहिल की हवा में

ज़ाहिद मसूद

मोहब्बत के सफ़र में कोई भी रस्ता नहीं देता

ज़ाहिद फख़री

हर गुल-ए-ताज़ा हमारे हाथ पर बैअत करे

ज़हीर सिद्दीक़ी

वो इक झलक दिखा के जिधर से निकल गया

ज़हीर काश्मीरी

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