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Collection: दृश्य Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 43 - Darsaal

दृश्य Poetry (page 43)

ज़िक्र हम से बे-तलब का क्या तलबगारी के दिन

अब्दुल अहद साज़

यूँ तो सौ तरह की मुश्किल सुख़नी आए हमें

अब्दुल अहद साज़

सबक़ उम्र का या ज़माने का है

अब्दुल अहद साज़

नज़र आसूदा-काम-ए-रौशनी है

अब्दुल अहद साज़

मौत से आगे सोच के आना फिर जी लेना

अब्दुल अहद साज़

मैं ने अपनी रूह को अपने तन से अलग कर रक्खा है

अब्दुल अहद साज़

लफ़्ज़ों के सहरा में क्या मा'नी के सराब दिखाना भी

अब्दुल अहद साज़

हर इक लम्हे की रग में दर्द का रिश्ता धड़कता है

अब्दुल अहद साज़

हद-ए-उफ़ुक़ पर सारा कुछ वीरान उभरता आता है

अब्दुल अहद साज़

दिखाई देने के और दिखाई न देने के दरमियान सा कुछ

अब्दुल अहद साज़

दरख़्त रूह के झूमे परिंद गाने लगे

अब्दुल अहद साज़

बुझ गई आग तो कमरे में धुआँ ही रखना

अब्दुल अहद साज़

उसे मैं ने नहीं देखा

अब्बास ताबिश

अँदेशा-ए-विसाल की एक नज़्म

अब्बास ताबिश

ये किस के ख़ौफ़ का गलियों में ज़हर फैल गया

अब्बास ताबिश

मह-रुख़ जो घरों से कभी बाहर निकल आए

अब्बास ताबिश

खा के सूखी रोटियाँ पानी के साथ

अब्बास ताबिश

चाँद का पत्थर बाँध के तन से उतरी मंज़र-ए-ख़्वाब में चुप

अब्बास ताबिश

अजब सौदा-ए-वहशत है दिल-ए-ख़ुद-सर में रहता है

अब्बास ताबिश

ताबीर को तरसे हुए ख़्वाबों की ज़बाँ हैं

अब्बास रिज़वी

चश्म-ए-ज़ाहिर-बीं को हर इक पेश-मंज़र आश्ना

अब्बास अलवी

ज़र्फ़ है किस में कि वो सारा जहाँ ले कर चले

आज़िम कोहली

बात बच्चों की थी लड़ने को सियाने निकले

अातिश इंदौरी

तुम्हारी याद का साया न होगा

आसिम शहनवाज़ शिबली

पहले ही क्या कम तमाशे थे यहाँ

आशुफ़्ता चंगेज़ी

एक मंज़र में लिपटे बदन के सिवा

आशुफ़्ता चंगेज़ी

तुम ने लिक्खा है लिखो कैसा हूँ मैं

आशुफ़्ता चंगेज़ी

ताबीर इस की क्या है धुआँ देखता हूँ मैं

आशुफ़्ता चंगेज़ी

सिलसिला अब भी ख़्वाबों का टूटा नहीं

आशुफ़्ता चंगेज़ी

किसे बताते कि मंज़र निगाह में क्या था

आशुफ़्ता चंगेज़ी

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