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Collection: मुनाजात Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Darsaal

मुनाजात Poetry

आँखों में निहाँ है जो मुनाजात वो तुम हो

ज़िया जालंधरी

ज़ख़्मों की मुनाजात में पिन्हाँ वो असर था

युसूफ़ जमाल

तू ग़ज़ल बन के उतर बात मुकम्मल हो जाए

वहीद अख़्तर

मावरा

वहीद अख़्तर

तू ग़ज़ल बन के उतर बात मुकम्मल हो जाए

वहीद अख़्तर

याद और ग़म की रिवायात से निकला हुआ है

तौक़ीर तक़ी

पोशीदा किसी ज़ात में पहले भी कहीं था

तारिक़ नईम

इस दौर-ए-बे-दिली में कोई बात कैसे हो

शहज़ाद अहमद

यूँ तसव्वुर में बसर रात किया करते थे

शफ़ीक़ जौनपुरी

किश्त-ए-वीराँ की तरह तिश्ना रही रात मिरी

साजिदा ज़ैदी

बाग़ इक दिन का है सो रात नहीं आने की

इलियास बाबर आवान

फ़िक्र पाबंदी-ए-हालात से आगे न बढ़ी

हमीद नागपुरी

दिल-लगी अपनी तिरे ज़िक्र से किस रात न थी

हैदर अली आतिश

सर पा-ए-ख़ुम पे चाहिए हंगाम-ए-बे-ख़ुदी

ग़ालिब

मस्जिद के ज़ेर-ए-साया ख़राबात चाहिए

ग़ालिब

ऐ सोज़-ए-इश्क़ तू ने मुझे क्या बना दिया

फ़िराक़ गोरखपुरी

वक़्त-ए-ग़ुरूब आज करामात हो गई

फ़िराक़ गोरखपुरी

मुद्दतों हम से मुलाक़ात नहीं करते हैं

फ़रह इक़बाल

शरह-ए-बेदर्दी-ए-हालात न होने पाई

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

पेश-तर जुम्बिश-ए-लब बात से पहले क्या था

एजाज़ गुल

ऐ काश हो बरसात ज़रा और ज़रा और

अहया भोजपुरी

हिज्र की रात याद आती है

अज़ीज़ लखनवी

बात करने में तो जाती है मुलाक़ात की रात

अमीर मीनाई

दिल में लिए औहाम को इस घर से उठा मैं

अब्दुर्राहमान वासिफ़

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