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Collection: लहू Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 36 - Darsaal

लहू Poetry (page 36)

फ़िरऔन-ए-वक़्त कोई भी हो सर-कशी करो

अजमल अजमली

वो जो फूल थे तिरी याद के तह-ए-दस्त-ए-ख़ार चले गए

अजय सहाब

फ़त्ह का ग़म

ऐतबार साजिद

किसी को हम से हैं चंद शिकवे किसी को बेहद शिकायतें हैं

ऐतबार साजिद

ज़मीन अपने बेटों को पहचानती है

ऐन ताबिश

आँसुओं के रतजगों से

ऐन ताबिश

वही जुनूँ की सोख़्ता-जानी वही फ़ुसूँ अफ़्सानों का

ऐन ताबिश

ख़ौफ़-ए-जाँ आस-पास रहता है

अहसन इमाम अहसन

उम्र का आख़िरी दिन

अहमद ज़फ़र

पाताल ज़मीन आसमान

अहमद ज़फ़र

म्यूजियम

अहमद ज़फ़र

ड्राइंग-रूम

अहमद ज़फ़र

यूँ ज़माने में मिरा जिस्म बिखर जाएगा

अहमद ज़फ़र

उस ने तोड़ा जहाँ कोई पैमाँ

अहमद ज़फ़र

तरस रहा हूँ क़रार-ए-दिल-ओ-नज़र के लिए

अहमद ज़फ़र

दिन हुआ कट कर गिरा मैं रौशनी की धार से

अहमद ज़फ़र

है वाहिमों का तमाशा यहाँ वहाँ देखो

अहमद शनास

अश्क भेजें मौज उभारें अब्र जारी कीजिए

अहमद शहरयार

वक़्त

अहमद नदीम क़ासमी

बीसवीं सदी का इंसान

अहमद नदीम क़ासमी

तू बिगड़ता भी है ख़ास अपने ही अंदाज़ के साथ

अहमद नदीम क़ासमी

फूलों से लहू कैसे टपकता हुआ देखूँ

अहमद नदीम क़ासमी

कई चाँद थे सर-ए-आसमाँ कि चमक चमक के पलट गए

अहमद मुश्ताक़

ये हम ग़ज़ल में जो हर्फ़-ओ-बयाँ बनाते हैं

अहमद मुश्ताक़

थम गया दर्द उजाला हुआ तन्हाई में

अहमद मुश्ताक़

रात फिर रंग पे थी उस के बदन की ख़ुशबू

अहमद मुश्ताक़

कहूँ किस से रात का माजरा नए मंज़रों पे निगाह थी

अहमद मुश्ताक़

मैं खो गया हूँ कहाँ आशियाँ बनाते हुए

अहमद लतीफ़

सुकूत तोड़ने का एहतिमाम करना चाहिए

अहमद ख़याल

कोई हैरत है न इस बात का रोना है हमें

अहमद ख़याल

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