होंठ Poetry (page 5)
तेरे लब के हुक़ूक़ हैं मुझ पर
वली मोहम्मद वली
आरज़ू-ए-चश्मा-ए-कौसर नईं
वली मोहम्मद वली
याद करना हर घड़ी उस यार का
वली मोहम्मद वली
तुझ लब की सिफ़त लाल-ए-बदख़्शाँ सूँ कहूँगा
वली मोहम्मद वली
तिरा लब देख हैवाँ याद आवे
वली मोहम्मद वली
ज़ोहरा सुहैल शम्स ख़ुर बद्र बहा तू कौन है
वाजिद अली शाह अख़्तर
ग़ुंचा-ए-दिल खिले जो चाहो तुम
वाजिद अली शाह अख़्तर
कौन ये रौशनी को समझाए
वजद चुगताई
नहीं मुमकिन लब-ए-आशिक़ से हर्फ़-ए-मुद्दआ निकले
वहशत रज़ा अली कलकत्वी
नहीं मुमकिन लब-ए-आशिक़ से हर्फ़-ए-मुद्दआ निकले
वहशत रज़ा अली कलकत्वी
लगाओ न जब दिल तो फिर क्यूँ लगावट
वहशत रज़ा अली कलकत्वी
किस नाम-ए-मुबारक ने मज़ा मुँह को दिया है
वहशत रज़ा अली कलकत्वी
देखना वो गिर्या-ए-हसरत-मआल आ ही गया
वहशत रज़ा अली कलकत्वी
आप अपना रू-ए-ज़ेबा देखिए
वहशत रज़ा अली कलकत्वी
शिद्दत-ए-शौक़ असर-ख़ेज़ है जादू की तरह
वाहिद प्रेमी
सितम है दिल के धड़कने को भी क़रार कहें
वहीदा नसीम
रौशन हों दिल के दाग़ तो लब पर फ़ुग़ाँ कहाँ
वहीदा नसीम
दीमक
वहीद अख़्तर
उन को रोज़ इक ताज़ा हीला एक ख़ंजर चाहिए
वहीद अख़्तर
तू ग़ज़ल बन के उतर बात मुकम्मल हो जाए
वहीद अख़्तर
रहे वो ज़िक्र जो लब-हा-ए-आतिशीं से चले
वहीद अख़्तर
हम ने देखा है मोहब्बत का सज़ा हो जाना
वहीद अख़्तर
आँख जो नम हो वही दीदा-ए-तर मेरा है
वहीद अख़्तर
क्या कहें क्या लिखें
वहीद अहमद
हर रौशनी की बूँद पे लब रख चुकी है रात
वहाब दानिश
जाने कितना जीवन पीछे छूट गया अनजाने में
विश्वनाथ दर्द
जुनूँ की पैरवी से ख़ुश नहीं हूँ
विकास शर्मा राज़
ख़याल तेरे
वर्षा गोरछिया
ऐ सबा निकहत-ए-गेसू-ए-मुअंबर लाना
वारिस किरमानी
बहुत टूटा हूँ लेकिन हौसला ज़िंदा बहुत कुछ है
वली मदनी
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