विचार Poetry (page 47)

तेरे बदन की धूप से महरूम कब हुआ

अशअर नजमी

दैर-ओ-हरम भी आए कई इस सफ़र के बीच

अाशा प्रभात

जो इस ज़मीर फ़रोशी के माहेरीन में है

असग़र मेहदी होश

तू एक नाम है मगर सदा-ए-ख़्वाब की तरह

असग़र गोंडवी

पास-ए-अदब में जोश-ए-तमन्ना लिए हुए

असग़र गोंडवी

जान-ए-नशात हुस्न की दुनिया कहें जिसे

असग़र गोंडवी

बहार है तिरे आरिज़ से लौ लगाए हुए

असर लखनवी

इश्क़ को जब हुस्न से नज़रें मिलाना आ गया

असद भोपाली

गिराँ गुज़रने लगा दौर-ए-इंतिज़ार मुझे

असद भोपाली

दो-जहाँ से मावरा हो जाएगा

असद भोपाली

जिसे न मेरी उदासी का कुछ ख़याल आया

असअ'द बदायुनी

ये लोग ख़्वाब बहुत कर्बला के देखते हैं

असअ'द बदायुनी

जिसे न मेरी उदासी का कुछ ख़याल आया

असअ'द बदायुनी

अभी ज़मीन को सौदा बहुत सरों का है

असअ'द बदायुनी

न कर तलाश-ए-असर तीर है लगा न लगा

आरज़ू लखनवी

ख़ाली बैठे क्यूँ दिन काटें आओ रे जी इक काम करें

आरज़ू लखनवी

करम उन का ख़ुद है बढ़ कर मिरी हद्द-ए-इल्तिजा से

आरज़ू लखनवी

फ़ज़ा है तीरा ओ तारीक और उस का ख़याल

अरशद सिद्दीक़ी

वो जिस ने मेरे दिल ओ जाँ में दर्द बोया है

अरशद सिद्दीक़ी

जो बुझ गए थे चराग़ फिर से जला रहा है

अरशद नईम

मैं ख़ाक छानता हूँ आफ़्ताब देखता हूँ

अरशद महमूद नाशाद

किस के सवाल पर ये दिल रोता है सारी सारी रात

अरशद लतीफ़

तिरे ख़याल से फिर आँख मेरी पुर-नम है

अरशद लतीफ़

कोई नहीं है इंतिज़ार सुब्ह-ए-विसाल के सिवा

अरशद लतीफ़

हर एक लम्हा-ए-ग़म बहर-ए-बे-कराँ की तरह

अरशद कमाल

फिर गया आँखों में उस कान के मोती का ख़याल

अरशद अली ख़ान क़लक़

यार के नर्गिस-ए-बीमार का बीमार रहा

अरशद अली ख़ान क़लक़

लूटे मज़े जो हम ने तुम्हारे उगाल के

अरशद अली ख़ान क़लक़

हम ने एहसान असीरी का न बर्बाद किया

अरशद अली ख़ान क़लक़

डोरा नहीं है सुरमे का चश्म-ए-सियाह में

अरशद अली ख़ान क़लक़

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