विचार Poetry (page 42)

आरज़ूएँ नज़्र-ए-दौराँ नज़्र-ए-जानाँ हो गईं

बिर्ज लाल रअना

ऐसे में रोज़ रोज़ कोई ढूँडता मुझे

बिमल कृष्ण अश्क

आता है कोई लुत्फ़ का सामाँ लिए हुए

बिल्क़ीस बेगम

कब एक रंग में दुनिया का हाल ठहरा है

बिलक़ीस ज़फ़ीरुल हसन

हर घड़ी तेरा तसव्वुर हर नफ़स तेरा ख़याल

भारत भूषण पन्त

सच्चाइयों को बर-सर-ए-पैकार छोड़ कर

भारत भूषण पन्त

मुस्तक़िल रोने से दिल की बे-कली बढ़ जाएगी

भारत भूषण पन्त

कभी सुकूँ कभी सब्र-ओ-क़रार टूटेगा

भारत भूषण पन्त

हो के मजबूर आह करता हूँ

बेख़ुद देहलवी

हिजाब दूर तुम्हारा शबाब कर देगा

बेख़ुद देहलवी

इस बज़्म में न होश रहेगा ज़रा मुझे

बेखुद बदायुनी

नए ज़माने में अब ये कमाल होने लगा

बेकल उत्साही

तुम्हारे हुस्न की तस्ख़ीर आम होती है

बहज़ाद लखनवी

इक बे-वफ़ा को प्यार किया हाए क्या किया

बहज़ाद लखनवी

चश्म-ए-हसीं में है न रुख़-ए-फ़ित्ना-गर में है

बहज़ाद लखनवी

किरन में फिर से बदलने लगा ख़याल उस का

बेदार सरमदी

कहाँ ईमान किस का कुफ़्र और दैर-ओ-हरम कैसे

बेदम शाह वारसी

न कुनिश्त ओ कलीसा से काम हमें दर-ए-दैर न बैत-ए-हरम से ग़रज़

बेदम शाह वारसी

हलाक-ए-तेग़-ए-जफ़ा या शहीद-ए-नाज़ करे

बेदम शाह वारसी

बरहमन मुझ को बनाना न मुसलमाँ करना

बेदम शाह वारसी

अल्लाह-रे फ़ैज़ एक जहाँ मुस्तफ़ीद है

बेदम शाह वारसी

ये मैं कहूँगा फ़लक पे जा कर ज़मीं से आया हूँ तंग आ कर

बयान मेरठी

वारफ़्तगी-ए-इश्क़ न जाए तो क्या करें

बासित भोपाली

कोई मेयार-ए-मोहब्बत न रहा मेरे बा'द

बासित भोपाली

ज़ौक़-ए-उल्फ़त अब भी है राहत का अरमाँ अब भी है

बशीरुद्दीन अहमद देहलवी

यूँ खुल गया है राज़-ए-शिकस्त-ए-तलब कभी

बशीर ज़ैदी असीर

रुख़ तुम्हारा हो जिधर हम भी उधर हो जाएँगे

बशीर महताब

मिरी नमाज़ मिरी बंदगी मिरा ईमाँ

बशीर फ़ारूक़

न उदास हो न मलाल कर किसी बात का न ख़याल कर

बशीर बद्र

ये ज़र्द पत्तों की बारिश मिरा ज़वाल नहीं

बशीर बद्र

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