विचार Poetry (page 39)

या रब मिरी हयात से ग़म का असर न जाए

फ़ना निज़ामी कानपुरी

न दहर में न हरम में जबीं झुकी होगी

फ़ना बुलंदशहरी

जो मिटा है तेरे जमाल पर वो हर एक ग़म से गुज़र गया

फ़ना बुलंदशहरी

जब तक मिरे होंटों पे तिरा नाम रहेगा

फ़ना बुलंदशहरी

दुनिया के हर ख़याल से बेगाना कर दिया

फ़ना बुलंदशहरी

आँखों में नमी आई चेहरे पे मलाल आया

फ़ना बुलंदशहरी

वो पहले अंधे कुएँ में गिराए जाते हैं

फख्र ज़मान

मैं सुब्ह ख़्वाब से जागा तो ये ख़याल आया

फ़ैज़ी

जो दिल को पहले मयस्सर था क्या हुआ उस का

फ़ैज़ी

अच्छा है तू ने इन दिनों देखा नहीं मुझे

फ़ैज़ी

इसी जहाज़ के सहरा में डूब जाने की

फ़ैज़ान हाशमी

वो बुतों ने डाले हैं वसवसे कि दिलों से ख़ौफ़-ए-ख़ुदा गया

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

ज़िंदाँ की एक शाम

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

ये किस दयार-ए-अदम में...

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

यहाँ से शहर को देखो

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

टूटी जहाँ जहाँ पे कमंद

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

तह-ए-नुजूम

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

शाह-राह

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

नुसख़ा-ए-उल्फ़त मेरा

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

मदह

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

इंतिज़ार

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

हिज्र की राख और विसाल के फूल

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

आज इक हर्फ़ को फिर ढूँडता फिरता है ख़याल

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

वो बुतों ने डाले हैं वसवसे कि दिलों से ख़ौफ़-ए-ख़ुदा गया

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

तेरी सूरत जो दिल-नशीं की है

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

शाम-ए-फ़िराक़ अब न पूछ आई और आ के टल गई

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

सब क़त्ल हो के तेरे मुक़ाबिल से आए हैं

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

किए आरज़ू से पैमाँ जो मआल तक न पहुँचे

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

इंक़िलाबी औरत

फ़हमीदा रियाज़

एक ज़न-ए-ख़ाना-ब-दोश

फ़हमीदा रियाज़

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