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Collection: सपना Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 77 - Darsaal

सपना Poetry (page 77)

ये ग़म नहीं कि मुझ को जागना पड़ा है उम्र भर

अज़ीज़ तमन्नाई

यूँही कटे न रहगुज़र-ए-मुख़्तसर कहीं

अज़ीज़ तमन्नाई

उठा के मेरे ज़ेहन से शबाब कोई ले गया

अज़ीज़ तमन्नाई

अज़ल-अबद

अज़ीज़ क़ैसी

दिल-ख़स्तगाँ में दर्द का आज़र कोई तो आए

अज़ीज़ क़ैसी

गुज़र रहा हूँ किसी ख़्वाब के इलाक़े से

अज़ीज़ नबील

ये किस मक़ाम पे लाया गया ख़ुदाया मुझे

अज़ीज़ नबील

सुनो मुसाफ़िर! सराए-जाँ को तुम्हारी यादें जला चुकी हैं

अज़ीज़ नबील

सर-ए-सहरा-ए-जाँ हम चाक-दामानी भी करते हैं

अज़ीज़ नबील

मैं नींद के ऐवान में हैरान था कल शब

अज़ीज़ नबील

ख़याल-ओ-ख़्वाब का सारा धुआँ उतर चुका है

अज़ीज़ नबील

बातों में बहुत गहराई है, लहजे में बड़ी सच्चाई है

अज़ीज़ नबील

आँखों के ग़म-कदों में उजाले हुए तो हैं

अज़ीज़ नबील

आएँगे नज़र सुब्ह के आसार में हम लोग

अज़ीज़ नबील

दिल आया इस तरह आख़िर फ़रे‌‌‌‌ब-ए-साज़-ओ-सामाँ में

अज़ीज़ लखनवी

शोख़ी से कश्मकश नहीं अच्छी हिजाब की

अज़ीज़ हैदराबादी

उन को ऐ नर्म हवा ख़्वाब-ए-जुनूँ से न जगा

अज़ीज़ हामिद मदनी

तिलिस्म-ए-ख़्वाब-ए-ज़ुलेख़ा ओ दाम-ए-बर्दा-फ़रोश

अज़ीज़ हामिद मदनी

मुबहम से एक ख़्वाब की ताबीर का है शौक़

अज़ीज़ हामिद मदनी

ये फ़ज़ा-ए-साज़-ओ-मुज़रिब ये हुजूम-ताज-ए-दाराँ

अज़ीज़ हामिद मदनी

वो साअ'त सूरत-ए-चक़माक़ जिस से लौ निकलती है

अज़ीज़ हामिद मदनी

सूरत-ए-ज़ंजीर मौज-ए-ख़ूँ में इक आहंग है

अज़ीज़ हामिद मदनी

सँभल न पाए तो तक़्सीर-ए-वाक़ई भी नहीं

अज़ीज़ हामिद मदनी

सब पेच-ओ-ताब-ए-शौक़ के तूफ़ान थम गए

अज़ीज़ हामिद मदनी

नरमी हवा की मौज-ए-तरब-ख़ेज़ अभी से है

अज़ीज़ हामिद मदनी

मिरी आँखें गवाह-ए-तल'अत-ए-आतिश हुईं जल कर

अज़ीज़ हामिद मदनी

लिखी हुई जो तबाही है उस से क्या जाता

अज़ीज़ हामिद मदनी

क्या हुए बाद-ए-बयाबाँ के पुकारे हुए लोग

अज़ीज़ हामिद मदनी

ख़त्म हुई शब-ए-वफ़ा ख़्वाब के सिलसिले गए

अज़ीज़ हामिद मदनी

जी-दारो! दोज़ख़ की हवा में किस की मोहब्बत जलती है

अज़ीज़ हामिद मदनी

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