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Collection: सपना Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 75 - Darsaal

सपना Poetry (page 75)

जाने क्या देखा था मैं ने ख़्वाब में

बशर नवाज़

लब-ए-रंगीं से अगर तू गुहर-अफ़शाँ होता

मिर्ज़ा रज़ा बर्क़

हम ज़र्रे हैं ख़ाक-ए-रहगुज़र के

बाक़ी सिद्दीक़ी

हर तरफ़ बिखर हैं रंगीं साए

बाक़ी सिद्दीक़ी

मुझ से बिछड़ के वो भी परेशान था बहुत

बाक़ी अहमदपुरी

दस्त-ए-नासेह जो मिरे जेब को इस बार लगा

बक़ा उल्लाह 'बक़ा'

दवा बग़ैर कोई तिफ़्ल मर गया तो क्या हुआ

बाक़र नक़वी

रेत और दर्द

बाक़र मेहदी

निरवान

बाक़र मेहदी

नई जुस्तुजू का अलमिया

बाक़र मेहदी

गोडो

बाक़र मेहदी

तबाह हो के भी इक अपनी आन बाक़ी है

बाक़र मेहदी

इस दर्जा हुआ ख़ुश कि डरा दिल से बहुत मैं

बाक़र मेहदी

बुझी बुझी है सदा-ए-नग़्मा कहीं कहीं हैं रबाब रौशन

बाक़र मेहदी

अजीब दिल में मिरे आज इज़्तिराब सा है!

बाक़र मेहदी

अब ख़ानुमाँ-ख़राब की मंज़िल यहाँ नहीं

बाक़र मेहदी

मुझे इक शेर कहना है

बक़ा बलूच

उम्र भर कुछ ख़्वाब दिल पर दस्तकें देते रहे

बक़ा बलूच

खुला मकान है हर एक ज़िंदगी 'आज़र'

बलवान सिंह आज़र

मिरे सफ़र में ही क्यूँ ये अज़ाब आते हैं

बलवान सिंह आज़र

ये ज़र्द बच्चे

बलराज कोमल

नन्हा शहसवार

बलराज कोमल

बारिशों में ग़ुस्ल करते सब्ज़ पेड़

बलराज कोमल

दिल के हाथों ख़राब हो जाना

बलराज हयात

अब के ताबीर मसअला न रहे

बकुल देव

समाअ'त के लिए इक इम्तिहाँ है

बकुल देव

जो है चश्मा उसे सराब करो

बकुल देव

हमें देखा न कर उड़ती नज़र से

बकुल देव

बारिशों में अब के याद आए बहुत

बकुल देव

हमारे ख़्वाब चोरी हो गए हैं

बख़्श लाइलपूरी

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