सपना Poetry (page 72)
मैं नफ़ी में
दानियाल तरीर
ये मो'जिज़ा भी दिखाती है सब्ज़ आग मुझे
दानियाल तरीर
साकित हो मगर सब को रवानी नज़र आए
दानियाल तरीर
मिट्टी था और दूध में गूँधा गया मुझे
दानियाल तरीर
ख़्वाब-कारी वही कमख़्वाब वही है कि नहीं
दानियाल तरीर
गया कि सैल-ए-रवाँ का बहाव ऐसा था
दानियाल तरीर
एक बुझाओ एक जलाओ ख़्वाब का क्या है
दानियाल तरीर
चाँद छूने की तलबगार नहीं हो सकती
दानियाल तरीर
ब-तर्ज़-ए-ख़्वाब सजानी पड़ी है आख़िर-कार
दानियाल तरीर
बहुत रोया हूँ मैं जब से ये मैं ने ख़्वाब देखा है
दाग़ देहलवी
शब-ए-वस्ल ज़िद में बसर हो गई
दाग़ देहलवी
पयामी कामयाब आए न आए
दाग़ देहलवी
भवें तनती हैं ख़ंजर हाथ में है तन के बैठे हैं
दाग़ देहलवी
चेहरे पे नूर-ए-सुब्ह सियह गेसुओं में रात
दाएम ग़व्वासी
लोग जिन को आज तक बार-ए-गराँ समझा किए
डी. राज कँवल
जो मेरी छत का रस्ता चाँद ने देखा नहीं होता
चित्रांश खरे
इस तरह कर गया दिल को मिरे वीराँ कोई
चराग़ हसन हसरत
तरकीब-ए-सर्फ़ी
चाैधरी मोहम्मद नईम
जो आँसुओं को न चमकाए वो ख़ुशी क्या है
चरख़ चिन्योटी
बे-ख़ुदी में है न वो पी कर सँभल जाने में है
चरख़ चिन्योटी
सर उठा के मत चलिए आज के ज़माने में
चरण सिंह बशर
फ़ज़ा-ए-आदमियत को सँवरने ही नहीं देते
चरण सिंह बशर
देते हैं मेरे जाम में देखें शराब कब
चंद्रभान कैफ़ी देहल्वी
रामायण का एक सीन
चकबस्त ब्रिज नारायण
ख़ाक-ए-हिंद
चकबस्त ब्रिज नारायण
आसिफ़ुद्दौला का इमामबाड़ा लखनऊ
चकबस्त ब्रिज नारायण
मिरी बे-ख़ुदी है वो बे-ख़ुदी कहीं ख़ुदी का वहम-ओ-गुमाँ नहीं
चकबस्त ब्रिज नारायण
फ़ना का होश आना ज़िंदगी का दर्द-ए-सर जाना
चकबस्त ब्रिज नारायण
शिकन-अंदर-शिकन याद आ गया है
बुशरा ज़ैदी
सवाद-ए-शाम से डरता हुआ नज़र आया
बुशरा ज़ैदी
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