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Collection: सपना Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 41 - Darsaal

सपना Poetry (page 41)

उस जंगल से जब गुज़रोगे तो एक शिवाला आएगा

साबिर वसीम

ख़िज़ाँ से सीना भरा हो लेकिन तुम अपना चेहरा गुलाब रखना

साबिर वसीम

खिले हुए हैं फूल सितारे दरिया के उस पार

साबिर वसीम

जो ख़्वाब मेरे नहीं थे मैं उन को देखता था

साबिर वसीम

गुल ओ महताब लिखना चाहता हूँ

साबिर वसीम

लोग करते हैं ख़्वाब की बातें

साबिर दत्त

ख़्वाब

साबिर दत्त

अजनबी

साबिर दत्त

अब उठाओ नक़ाब आँखों से

साबिर दत्त

सैंत कर ईमान कुछ दिन और रखना है अभी

साबिर

मुस्तक़र की ख़्वाहिश में मुंतशिर से रहते हैं

साबिर

आहिस्ता बोलिएगा तमाशा खड़ा न हो

साबिर

बे-ख़याली में तख़्लीक़

सबीला इनाम सिद्दीक़ी

अदाकार चेहरे

सबीला इनाम सिद्दीक़ी

इदराक ही मुहाल है ख़्वाब-ओ-ख़याल का

सबीला इनाम सिद्दीक़ी

अगर अल्फ़ाज़ से ग़म का इज़ाला हो गया होता

सबीला इनाम सिद्दीक़ी

आँखों में वो आएँ तो हँसाते हैं मुझे ख़्वाब

सबीला इनाम सिद्दीक़ी

क़लम से राब्ता-ए-रंग-ओ-आब टूट गया

सबा नक़वी

कहाँ पे बिछड़े थे हम लोग कुछ पता मिल जाए

सबा जायसी

और किस तरह उसे कोई क़बा दी जाए

सबा जायसी

होते ही जवाँ हो गए पाबंद-ए-हिजाब और

साइल देहलवी

हम को ख़ुश आया तिरा हम से ख़फ़ा हो जाना

सादुल्लाह शाह

ज़ालिम पे अज़ाब हो गया हूँ

रूही कंजाही

मेरे लिए वो शख़्स मुसीबत भी बहुत है

रूही कंजाही

था निगाहों में बसाया जाने किस तस्वीर को

रिज़वानूरर्ज़ा रिज़वान

कोई ख़्वाब था जो बिखर गया कोई दर्द था जो ठहर गया

रिज़वानूरर्ज़ा रिज़वान

चहार सम्त से कल तक जो घर दमकता था

रिज़्वानुल्लाह

ख़ला-नवर्दी

रियाज़ लतीफ़

गाए

रियाज़ लतीफ़

चमगादड़

रियाज़ लतीफ़

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