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Collection: पत्र Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Darsaal

पत्र Poetry

आस

ममता तिवारी

रिवायती मोहब्बत

ममता तिवारी

उठा कर बर्क़-ओ-बाराँ से नज़र मंजधार पर रखना

ज़ुबैर शिफ़ाई

मैं ने अपना वजूद गठड़ी में बाँध लिया

जवाज़ जाफ़री

वो भी शायद रो पड़े वीरान काग़ज़ देख कर

ज़ुहूर नज़र

छोड़ कर दिल में गई वहशी हवा कुछ भी नहीं

ज़ुहूर नज़र

उस के ख़त रात भर यूँ पढ़ता हूँ

ज़ुबैर अली ताबिश

वैसे तू मेरे मकाँ तक तू चला आता है

ज़ुबैर अली ताबिश

तुम्हारे ग़म से तौबा कर रहा हूँ

ज़ुबैर अली ताबिश

फ़ोन तो दूर वहाँ ख़त भी नहीं पहुँचेंगे

ज़िया मज़कूर

ये एक मोहब्बत है

ज़ीशान साहिल

नज़्म

ज़ीशान साहिल

नज़्म

ज़ीशान साहिल

महमूद दरवेश के लिए ख़त

ज़ीशान साहिल

ख़त

ज़ीशान साहिल

हवा

ज़ीशान साहिल

बेहतरीन दिन

ज़ीशान साहिल

वो हो कैसा ही दुबला तार बिस्तर हो नहीं सकता

ज़रीफ़ लखनवी

अमीरों के बुरे अतवार को जो ठीक समझे है

ज़मीर अतरौलवी

अजब क्या है रहे उस पार बहते जुगनुओं की रौशनी तहलील की ज़द में

ज़ाहिद मसूद

तल्ख़ शिकवे लब-ए-शीरीं से मज़ा देते हैं

ज़हीर देहलवी

नक़ाब उस ने रुख़-ए-हुस्न-ए-ज़र पे डाल दिया

ज़फ़र मुरादाबादी

हर इंतिख़ाब यहाँ माज़ी-ओ-अक़ब का है

ज़फ़र मुरादाबादी

मुझ को समझो न हर्फ़-ए-ग़लत की तरह

ज़फ़र कलीम

ख़त लिख के कभी और कभी ख़त को जला कर

ज़फ़र गोरखपुरी

सुख़नवरान-ए-अहद से ख़िताब

ज़फ़र अली ख़ाँ

कितने पेच-ओ-ताब में ज़ंजीर होना है मुझे

यूसुफ़ हसन

आते रहते हैं फ़लक से भी इशारे कुछ न कुछ

यासमीन हबीब

सरीर-ए-सल्तनत से आस्तान-ए-यार बेहतर था

इनामुल्लाह ख़ाँ यक़ीन

दुनिया का चलन तर्क किया भी नहीं जाता

यगाना चंगेज़ी

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