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Collection: डर Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 11 - Darsaal

डर Poetry (page 11)

हर रात का ख़्वाब

सहबा अख़्तर

मैं बहारों के रूप में गुम था

सहबा अख़्तर

जो हैं हवस के पुजारी वो माल-ओ-ज़र के लिए

सहर महमूद

सर-ए-राह

सहर अंसारी

क़ाबील का साया

सहर अंसारी

हिसाब-ए-शब

सहर अंसारी

चराग़-ए-तूर जलाओ बड़ा अँधेरा है

साग़र सिद्दीक़ी

नवादिरात की दूकान

साग़र ख़य्यामी

रह-ए-हयात में बस वो क़दम बढ़ा के चले

साग़र ख़य्यामी

रह-ए-हयात में बस वो क़दम बढ़ा के चले

साग़र ख़य्यामी

क्यूँ दिल तिरे ख़याल का हामिल नहीं रहा

साग़र ख़य्यामी

कटी पहाड़ी

सईदुद्दीन

इजाज़त

सईदुद्दीन

चरवाहे का ख़्वाब

सईदुद्दीन

जब बीनाई सावन ने चुराई हो

सईद अहमद

डूबते सूरज की सरगोशी

सईद अहमद

नहीं मा'लूम जीने का हुनर कैसा रखा है

सादिया सफ़दर सादी

यूँ तो हर एक शख़्स ही तालिब समर का है

सादिक़ नसीम

हर शख़्स को ऐसे देखता हूँ

सादिक़ नसीम

ये महर ओ मह बे-चराग़ ऐसे कि राख बन कर बिखर रहे हैं

साबिर वसीम

ख़्वाब तुम्हारे आते हैं

साबिर वसीम

ख़्वाब

साबिर दत्त

अश्क-बारी नहीं फ़ुर्क़त में शरर-बारी है

सबा अकबराबादी

बसा-औक़ात आ जाते हैं दामन से गरेबाँ में

साइल देहलवी

ये रात दिन का बदलना नज़र में रहता है

सादुल्लाह शाह

हँसी की बात कि उस ने वहाँ बुला के मुझे

सादुल्लाह शाह

गरचे मिरे ख़ुलूस से वो बे-ख़बर न था

रोहित सोनी ‘ताबिश’

ख़्वाब में भी नज़र आ जाए जो घर की सूरत

रियाज़ ख़ैराबादी

अंदेशा-हा-ए-दूर-दराज़

रियाज़ मजीद

लाज़िम है बुलंद आह की रायत न करे तू

रज़ा अज़ीमाबादी

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