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Collection: धूल Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 57 - Darsaal

धूल Poetry (page 57)

न सह सकूँगा ग़म-ए-ज़ात गो अकेला मैं

अनवर शऊर

मैं ख़ाक हूँ आब हूँ हवा हूँ

अनवर शऊर

कहीं और ही चलना होगा

अनवर नदीम

रुख़ से पर्दा उठा दे ज़रा साक़िया बस अभी रंग-ए-महफ़िल बदल जाएगा

अनवर मिर्ज़ापुरी

इस वास्ते दामन चाक किया शायद ये जुनूँ काम आ जाए

अनवर मिर्ज़ापुरी

कहाँ तक मुझ को ठुकराएगी दुनिया

अनवर ख़ान

कोई पूछेगा जिस दिन वाक़ई ये ज़िंदगी क्या है

अनवर जलालपुरी

पराया कौन है और कौन अपना सब भुला देंगे

अनवर जलालपुरी

उन से हम लौ लगाए बैठे हैं

अनवर देहलवी

नज़र आए क्या मुझ से फ़ानी की सूरत

अनवर देहलवी

न मैं समझा न आप आए कहीं से

अनवर देहलवी

अश्क बेताब व निगह बे-बाक व चश्म-ए-तर ख़राब

अनवर देहलवी

अब अपना हाल हम उन्हें तहरीर कर चुके

अनवर देहलवी

दिमाग़ उन के तजस्सुस में जिस्म घर में रहा

अंजुम सिद्दीक़ी

मिट के आसूदा हो गया हूँ मैं

अंजुम सलीमी

सहर को खोज चराग़ों पे इंहिसार न कर

अंजुम सलीमी

खींचा हुआ है गर्दिश-ए-अफ़्लाक ने मुझे

अंजुम सलीमी

फ़लक-नज़ाद सही सर-निगूँ ज़मीं पे था मैं

अंजुम सलीमी

चराग़ हाथ में हो तो हवा मुसीबत है

अंजुम सलीमी

इस ने देखा है सर-ए-बज़्म सितमगर की तरह

अंजुम इरफ़ानी

ज़ंजीर तो पैरों से थकन बाँधे हुए है

अंजुम बाराबंकवी

हम से क्या ख़ाक के ज़र्रों ही से पूछा होता

अंजुम आज़मी

बनाए सब ने इसी ख़ाक से दिए अपने

अंजुम अंसारी

भर नहीं पाया अभी तक ज़ख़्म-ए-कारी हाए हाए

अनीस अंसारी

मोहिब्बान-ए-वतन का नारा

आनंद नारायण मुल्ला

सर-ए-महशर यही पूछूँगा ख़ुदा से पहले

आनंद नारायण मुल्ला

रह-रवी है न रहनुमाई है

आनंद नारायण मुल्ला

बशर को मशअ'ल-ए-ईमाँ से आगही न मिली

आनंद नारायण मुल्ला

मोहब्बत की एक नज़्म

अमजद इस्लाम अमजद

ख़ुद-सुपुर्दगी

अमजद इस्लाम अमजद

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