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Collection: धूल Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 48 - Darsaal

धूल Poetry (page 48)

जिस ने जाना जहाँ तमाशा है

बबल्स होरा सबा

जिस ने जाना जहाँ तमाशा है

बबल्स होरा सबा

होती नहीं रसाई-ए-बर्क़-ए-तपाँ कहाँ

ब्रहमा नन्द जलीस

ऐ 'जलीस' अब इक तुम्हीं में आदमियत हो तो हो

ब्रहमा नन्द जलीस

इक ग़लत सज्दे से क्या होता है वाइज़ कुछ न पूछ

बिस्मिल अज़ीमाबादी

ख़िज़ाँ के जाने से हो या बहार आने से

बिस्मिल अज़ीमाबादी

कहाँ आया है दीवानों को तेरा कुछ क़रार अब तक

बिस्मिल अज़ीमाबादी

जब कभी नाम-ए-मोहम्मद लब पे मेरे आए है

बिस्मिल अज़ीमाबादी

अब मुलाक़ात कहाँ शीशे से पैमाने से

बिस्मिल अज़ीमाबादी

मिल चुका महफ़िल में अब लुत्फ़-ए-शकेबाई मुझे

बिस्मिल इलाहाबादी

जो न करना था किया जो कुछ न होना था हुआ

बिस्मिल इलाहाबादी

जिन पर निसार शम्स-ओ-क़मर आसमाँ के हैं

बिशन नरायण दराबर

दर बदर की ख़ाक थी तक़दीर में

बिलक़ीस ज़फ़ीरुल हसन

शाम से हम ता सहर चलते रहे

बिलक़ीस ज़फ़ीरुल हसन

कब इक मक़ाम पे रुकती है सर-फिरी है हवा

बिलक़ीस ज़फ़ीरुल हसन

जीना है ख़ूब औरों की ख़ातिर जिया करो

बिलक़ीस ज़फ़ीरुल हसन

दीवार-ओ-दर में सिमटा इक लम्स काँपता है

बिलक़ीस ज़फ़ीरुल हसन

हमारी ख़ाक तबर्रुक समझ के ले जाओ

बिलाल अहमद

ज़मीं नई थी अनासिर की ख़ू बदलती थी

बिलाल अहमद

अजल की फूँक मिरे कान में सुनाई दी

बिलाल अहमद

छानी कहाँ न ख़ाक न पाया कहीं तुम्हें

भारतेंदु हरिश्चंद्र

फिर मुझे लिखना जो वस्फ़-ए-रू-ए-जानाँ हो गया

भारतेंदु हरिश्चंद्र

जहाँ देखो वहाँ मौजूद मेरा कृष्ण प्यारा है

भारतेंदु हरिश्चंद्र

दिल आतिश-ए-हिज्राँ से जलाना नहीं अच्छा

भारतेंदु हरिश्चंद्र

बैठे जो शाम से तिरे दर पे सहर हुई

भारतेंदु हरिश्चंद्र

बाल बिखेरे आज परी तुर्बत पर मेरे आएगी

भारतेंदु हरिश्चंद्र

दानिस्ता जो हो न सके नादानी से हो जाता है

भारत भूषण पन्त

आब की तासीर में हूँ प्यास की शिद्दत में हूँ

भारत भूषण पन्त

मिला के ख़ाक में सर्मा-ए-दिल-ए-'बेख़ुद'

बेख़ुद देहलवी

वो और तसल्ली मुझे दें उन की बला दे

बेख़ुद देहलवी

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