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Collection: धूल Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 31 - Darsaal

धूल Poetry (page 31)

बढ़ा ये शक कि ग़ैरों कि तन में आग लगी

रशीद लखनवी

अगर गुल की कोई पती झड़ी है

रशीद लखनवी

अगर दिला ग़म-ए-गेसू-ए-यार बढ़ जाता

रशीद लखनवी

हिम्मत-ए-आली का इतना तो ज़ियाँ होना ही था

रशीद कौसर फ़ारूक़ी

बारिश नहीं लाती कभी अफ़्लाक से ख़ुशबू

रऊफ़ अमीर

रोता हमें जो देखा दिल उस का पिघल गया

रंजूर अज़ीमाबादी

है ये दुनिया जा-ए-इबरत ख़ाक से इंसान की

रंगीन सआदत यार ख़ाँ

चाह कर हम उस परी-रू को जो दीवाने हुए

रंगीन सआदत यार ख़ाँ

कार-ए-जुनूँ की हालतें, कार-ए-ख़ुदा ख़याल कर

राना आमिर लियाक़त

इस सदी का जब कभी ख़त्म-ए-सफ़र देखेंगे लोग

रम्ज़ अज़ीमाबादी

वो जो भी बख़्शें वो इनआम ले लिया जाए

रम्ज़ आफ़ाक़ी

तेरी महफ़िल में सितारे कोई जुगनू लाया

राम रियाज़

ये टूटी कश्तियाँ और बहर-ए-ग़म के तेज़ धारे हैं

राम कृष्ण मुज़्तर

हरी सुनहरी ख़ाक उड़ाने वाला मैं

राजेन्द्र मनचंदा बानी

ये ज़रा सा कुछ और एक-दम बे-हिसाब सा कुछ

राजेन्द्र मनचंदा बानी

रही न यारो आख़िर सकत हवाओं में

राजेन्द्र मनचंदा बानी

न मंज़िलें थीं न कुछ दिल में था न सर में था

राजेन्द्र मनचंदा बानी

मुझ से इक इक क़दम पर बिछड़ता हुआ कौन था

राजेन्द्र मनचंदा बानी

हरी सुनहरी ख़ाक उड़ाने वाला मैं

राजेन्द्र मनचंदा बानी

दिलों में ख़ाक सी उड़ती है क्या न जाने क्या

राजेन्द्र मनचंदा बानी

दिल में ख़ुशबू सी उतर जाती है सीने में नूर सा ढल जाता है

राजेन्द्र मनचंदा बानी

दमक रहा था बहुत यूँ तो पैरहन उस का

राजेन्द्र मनचंदा बानी

क्या ग़ज़ब है कि चार आँखों में

रजब अली बेग सुरूर

ज़ौक़-ए-सुजूद ले गया मुझ को कहाँ कहाँ

राज कुमार सूरी नदीम

उर्दू का जनाज़ा है ज़रा धूम से निकले

रईस अमरोहवी

उड़ाते आए हैं आप अपने ख़्वाब-ज़ार की ख़ाक

रहमान हफ़ीज़

तबाही बस्तियों की है निगहबानों से वाबस्ता

राही कुरैशी

वक़्त के इंतिज़ार में वो है

राही फ़िदाई

हम न होते काख़-ए-मुश्त-ए-ख़ाक होता ग़ालिबन

राही फ़िदाई

तबर-ओ-तेशा-ओ-तासीर कहाँ से लाएँ

राहील फ़ारूक़

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