समाचार Poetry (page 38)
लोग यूँ जाते नज़र आते हैं मक़्तल की तरफ़
फ़रहत एहसास
देखते ही देखते खोने से पहले देखते
फ़रहत एहसास
मौत का वक़्त गुज़र जाएगा
फ़रहत अब्बास शाह
कभी सहर तो कभी शाम ले गया मुझ से
फ़रहत अब्बास शाह
शहर-दर-शहर दीदा-वर भटके
फ़रहत अब्बास
जल्वा है वो कि ताब-ए-नज़र तक नहीं रही
फ़रहत अब्बास
तुझे ख़बर ही नहीं है ये क़िस्सा-ए-कोताह
फ़रहान सालिम
वो क़ाफ़िला जो रह-ए-शाएरी में कम उतरा
फ़रहान सालिम
ग़ुबार दिल पे बहुत आ गया है धो लें आज
फ़रीद जावेद
सहर होने तक
फ़रीद इशरती
एक मुद्दत से यहाँ ठहरा हुआ पानी है
फ़रह इक़बाल
न इंतिहा की ख़बर है न इंतिहा मालूम
फ़ानी बदायुनी
न इब्तिदा की ख़बर है न इंतिहा मालूम
फ़ानी बदायुनी
दर्द-ए-दिल की उन्हें ख़बर क्या हो
फ़ानी बदायुनी
वो जी गया जो इश्क़ में जी से गुज़र गया
फ़ानी बदायुनी
वादी-ए-शौक़ में वारफ़्ता-ए-रफ़्तार हैं हम
फ़ानी बदायुनी
तेरा निगाह-ए-शौक़ कोई राज़-दाँ न था
फ़ानी बदायुनी
न इब्तिदा की ख़बर है न इंतिहा मा'लूम
फ़ानी बदायुनी
माया-ए-नाज़-ए-राज़ हैं हम लोग
फ़ानी बदायुनी
ख़ुशी से रंज का बदला यहाँ नहीं मिलता
फ़ानी बदायुनी
दिल की हर लर्ज़िश-ए-मुज़्तर पे नज़र रखते हैं
फ़ानी बदायुनी
आँख उठाई ही थी कि खाई चोट
फ़ानी बदायुनी
आह अब तक तो बे-असर न हुई
फ़ानी बदायुनी
आज उस से मैं ने शिकवा किया था शरारतन
फ़ना निज़ामी कानपुरी
दिल से अगर कभी तिरा अरमान जाएगा
फ़ना निज़ामी कानपुरी
उन के जल्वों पे हमा-वक़्त नज़र होती है
फ़ना बुलंदशहरी
मिरी लौ लगी है तुझ से ग़म-ए-ज़िंदगी मिटा दे
फ़ना बुलंदशहरी
किस को सुनाऊँ हाल-ए-ग़म कोई ग़म-आश्ना नहीं
फ़ना बुलंदशहरी
जो मिटा है तेरे जमाल पर वो हर एक ग़म से गुज़र गया
फ़ना बुलंदशहरी
जब तक मिरे होंटों पे तिरा नाम रहेगा
फ़ना बुलंदशहरी
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