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Collection: समाचार Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 36 - Darsaal

समाचार Poetry (page 36)

आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक

ग़ालिब

है तलाश-ए-दो-जहाँ लेकिन ख़बर अपनी किसे

जोर्ज पेश शोर

दिल तमाम आईने तीरा कौन रौशन कौन

गौहर होशियारपुरी

वो मौज-ए-ख़ुनुक शहर-ए-शरर तक नहीं आई

फ़ुज़ैल जाफ़री

तेज़ आँधी रात अँधयारी अकेला राह-रौ

फ़ुज़ैल जाफ़री

इंतिख़ाब-ए-निगह-ए-शौक़ को मुश्किल भी नहीं

फ़ितरत अंसारी

ख़ुद मुझ को भी ता-देर ख़बर हो नहीं पाई

फ़िराक़ गोरखपुरी

शाम-ए-अयादत

फ़िराक़ गोरखपुरी

आधी रात

फ़िराक़ गोरखपुरी

लुत्फ़-सामाँ इताब-ए-यार भी है

फ़िराक़ गोरखपुरी

किसी का यूँ तो हुआ कौन उम्र भर फिर भी

फ़िराक़ गोरखपुरी

जुनून-ए-कारगर है और मैं हूँ

फ़िराक़ गोरखपुरी

जिसे लोग कहते हैं तीरगी वही शब हिजाब-ए-सहर भी है

फ़िराक़ गोरखपुरी

इक रोज़ हुए थे कुछ इशारात ख़फ़ी से

फ़िराक़ गोरखपुरी

बहसें छिड़ी हुई हैं हयात-ओ-ममात की

फ़िराक़ गोरखपुरी

आँखों में जो बात हो गई है

फ़िराक़ गोरखपुरी

आदाब-ए-आशिक़ी से तो हम बे-ख़बर न थे

फ़िगार उन्नावी

चमन अपने रंग में मस्त है कोई ग़म-गुसार-ए-दिगर नहीं

फ़िगार उन्नावी

मैं उस के ख़्वाब में कब जा के देख पाया हूँ

फ़ज़्ल ताबिश

मिरे वजूद को परछाइयों ने तोड़ दिया

फ़ाज़िल जमीली

ख़िज़ाँ का रंग दरख़्तों पे आ के बैठ गया

फ़ाज़िल जमीली

यूँ मआनी से बहुत ख़ास है रिश्ता अपना

फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी

वही रिवायत गज़ीदा-दानिश वही हिकायत किताब वाली

फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी

उदास देख के वजह-ए-मलाल पूछेगा

फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी

सवाल सख़्त था दरिया के पार उतर जाना

फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी

राएगाँ सब कुछ हुआ कैसी बसीरत क्या हुनर

फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी

लहू ही कितना है जो चश्म-ए-तर से निकलेगा

फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी

हाथ फैलाओ तो सूरज भी सियाही देगा

फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी

चंद साँसें हैं मिरा रख़्त-ए-सफ़र ही कितना

फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी

तुझे ख़बर है कि इब्तिदा भी है इंतिहा भी

फ़य्याज़ तहसीन

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