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Collection: समाचार Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 35 - Darsaal

समाचार Poetry (page 35)

क़र्या-ए-हैरत में दिल का मुस्तक़र इक ख़्वाब है

ग़ुलाम हुसैन साजिद

मैं अपने सूरज के साथ ज़िंदा रहूँगा तो ये ख़बर मिलेगी

ग़ुलाम हुसैन साजिद

आइने में अक्स खिलता है गुल-ए-हैरत नहीं

ग़ुलाम हुसैन साजिद

कुछ तुझ को ख़बर है कि नहीं हो के दो टुकड़े

ग़ुलाम अहमद फ़रीद

मुझे किस तरह से न हो यक़ीं कि उसे ख़िज़ाँ से गुरेज़ है

ग़ुबार भट्टी

अजब इंक़लाब का दौर है कि हर एक सम्त फ़िशार है

ग़ुबार भट्टी

ज़मीं की हद अगर कोई नहीं है

गाैस मथरावी

हम ने जब चाहा कोई आग बुझाने आए

ग़यास अंजुम

तुम्हें ख़बर भी है ये तुम ने किस से क्या माँगा

ग़नी एजाज़

मिरा उस के पस-ए-दीवार घर होता तो क्या होता

ग़मगीन देहलवी

जबीन-ए-शौक़ पे गर्द-ए-मलाल चाहती है

ग़ालिब अयाज़

थी ख़बर गर्म कि 'ग़ालिब' के उड़ेंगे पुर्ज़े

ग़ालिब

न लुटता दिन को तो कब रात को यूँ बे-ख़बर सोता

ग़ालिब

लेता नहीं मिरे दिल-ए-आवारा की ख़बर

ग़ालिब

हम ने माना कि तग़ाफ़ुल न करोगे लेकिन

ग़ालिब

हम वहाँ हैं जहाँ से हम को भी

ग़ालिब

है ख़बर गर्म उन के आने की

ग़ालिब

सर-गश्तगी में आलम-ए-हस्ती से यास है

ग़ालिब

सब कहाँ कुछ लाला-ओ-गुल में नुमायाँ हो गईं

ग़ालिब

क़फ़स में हूँ गर अच्छा भी न जानें मेरे शेवन को

ग़ालिब

मंज़ूर थी ये शक्ल तजल्ली को नूर की

ग़ालिब

कोई उम्मीद बर नहीं आती

ग़ालिब

जिस जा नसीम शाना-कश-ए-ज़ुल्फ़-ए-यार है

ग़ालिब

हैराँ हूँ दिल को रोऊँ कि पीटूँ जिगर को मैं

ग़ालिब

ग़ैर लें महफ़िल में बोसे जाम के

ग़ालिब

दिया है दिल अगर उस को बशर है क्या कहिए

ग़ालिब

दर-ख़ूर-ए-क़हर-ओ-ग़ज़ब जब कोई हम सा न हुआ

ग़ालिब

दर्द मिन्नत-कश-ए-दवा न हुआ

ग़ालिब

बे-ए'तिदालियों से सुबुक सब में हम हुए

ग़ालिब

बहुत सही ग़म-ए-गीती शराब कम क्या है

ग़ालिब

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