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Collection: कांच Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Darsaal

कांच Poetry

देखें आईने के मानिंद सहें ग़म की तरह

ज़िया जालंधरी

डरो उस वक़्त से

ज़ेहरा निगाह

''अलिफ़'' और ''बे'' के नाम

ज़ेहरा निगाह

ख़्वाब-गाहों से अज़ान-ए-फ़ज्र टकराती रही

ज़हीर सिद्दीक़ी

तिरा यक़ीन हूँ मैं कब से इस गुमान में था

ज़फ़र गौरी

देखने में ये काँच का घर है

वजद चुगताई

पचासी साल नीचे गिर गए

वहीद अहमद

दुआ

वर्षा गोरछिया

मलाल

वली मदनी

रिदा-ए-संग ओढ़ कर न सो गया हो काँच भी

तनवीर मोनिस

रिदा-ए-संग ओढ़ कर न सो गया हो काँच भी

तनवीर मोनिस

सफ़ेद घोड़े पर सवार अजनबी

सुलतान सुबहानी

फ़लसफ़े इश्क़ में पेश आए सवालों की तरह

सुदर्शन फ़ाकिर

रंज इतने मिले ज़माने से

सिया सचदेव

ना-ख़लफ़ मिज़ाज की मुसद्दक़ा तस्लीमात

सिदरा सहर इमरान

आज भी शायद कोई फूलों का तोहफ़ा भेज दे

शकेब जलाली

रात के पिछले पहर

शकेब जलाली

दर्द के मौसम का क्या होगा असर अंजान पर

शकेब जलाली

हर आइने में बदन अपना बे-लिबास हुआ

शाहिद कबीर

दुनिया ने बस थका ही दिया काम कम हुए

शाहीन ग़ाज़ीपुरी

आँसुओं से तू है ख़ाली दर्द से आरी हूँ मैं

सलीम अहमद

ख़ैर का तुझ को यक़ीं है और उस को शर का है

सलीम अहमद

कोई इम्काँ तो न था उस का मगर चाहता था

साइमा असमा

पहले होता था बहुत अब कभी होता ही नहीं

साहिबा शहरयार

रहेगा प्यासों से पानी का फ़ासला कब तक

साग़र ख़य्यामी

कुछ हक़ीक़त तो हुआ करती थी इंसानों में

सईद अहमद अख़्तर

हम ज़ात से हम कलामी और फ़िराक़

सईद अहमद

आँधी का कर ख़याल न तेवर हवा के देख

साबिर ज़ाहिद

तन्हाइयों का हब्स मुझे काटता रहा

रशीद क़ैसरानी

है शौक़ तो बे-साख़्ता आँखों में समो लो

रशीद क़ैसरानी

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