काम Poetry (page 49)

वहशत

अम्बरीन सलाहुद्दीन

ज़िंदगी-भर एक ही कार-ए-हुनर करते रहे

अंबरीन हसीब अंबर

आज फिर धूप की शिद्दत ने बड़ा काम किया

अम्बर बहराईची

उलझा दिल-ए-सितम-ज़दा ज़ुल्फ़-ए-बुताँ से आज

अमानत लखनवी

ख़ाना-ए-ज़ंजीर का पाबंद रहता हूँ सदा

अमानत लखनवी

यही है इबादत यही दीन ओ ईमाँ

अल्ताफ़ हुसैन हाली

दरिया को अपनी मौज की तुग़्यानियों से काम

अल्ताफ़ हुसैन हाली

नशात-ए-उमीद

अल्ताफ़ हुसैन हाली

मुनाजात-ए-बेवा

अल्ताफ़ हुसैन हाली

हुब्ब-ए-वतन

अल्ताफ़ हुसैन हाली

बरखा-रुत

अल्ताफ़ हुसैन हाली

वस्ल का उस के दिल-ए-ज़ार तमन्नाई है

अल्ताफ़ हुसैन हाली

रंज और रंज भी तन्हाई का

अल्ताफ़ हुसैन हाली

मैं तो मैं ग़ैर को मरने से अब इंकार नहीं

अल्ताफ़ हुसैन हाली

कोई महरम नहीं मिलता जहाँ में

अल्ताफ़ हुसैन हाली

जुनूँ कार-फ़रमा हुआ चाहता है

अल्ताफ़ हुसैन हाली

इश्क़ को तर्क-ए-जुनूँ से क्या ग़रज़

अल्ताफ़ हुसैन हाली

गो जवानी में थी कज-राई बहुत

अल्ताफ़ हुसैन हाली

घर है वहशत-ख़ेज़ और बस्ती उजाड़

अल्ताफ़ हुसैन हाली

दिल को दर्द-आश्ना किया तू ने

अल्ताफ़ हुसैन हाली

बुरी और भली सब गुज़र जाएगी

अल्ताफ़ हुसैन हाली

सब्ज़ है पैरहन चाँद का आज फिर

आलोक यादव

ज़रा भी काम न आएगा मुस्कुराना क्या

आलोक मिश्रा

तू शाहीं है परवाज़ है काम तेरा

अल्लामा इक़बाल

मक़ाम-ए-शौक़ तिरे क़ुदसियों के बस का नहीं

अल्लामा इक़बाल

ग़ुलामी में न काम आती हैं शमशीरें न तदबीरें

अल्लामा इक़बाल

तुलू-ए-इस्लाम

अल्लामा इक़बाल

शिकवा

अल्लामा इक़बाल

जवाब-ए-शिकवा

अल्लामा इक़बाल

यूँ हाथ नहीं आता वो गौहर-ए-यक-दाना

अल्लामा इक़बाल

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