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Collection: जुस्तजू Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Darsaal

जुस्तजू Poetry

इक्कीसवीं सदी का इश्क़

मर्यम तस्लीम कियानी

कुछ ऐसे वस्ल की रातें गुज़ारी है मैं ने

अमित सतपाल तनवर

तिरी शबीह को लिक्खा है रंग-ओ-बू मैं ने

एहतिमाम सादिक़

ये जहान-ए-आब-ओ-गिल लगता है इक माया मुझे

अहमद अली बर्क़ी आज़मी

यहाँ-वहाँ से इधर-उधर से न जाने कैसे कहाँ से निकले

आफ़्ताब शकील

हम को ख़ुलूस-ए-दिल का किसी ने सिला दिया है

अनवर ख़लील

तिरी तलाश तिरी जुस्तुजू उतरती है

हनीफ़ राही

सूरज की पहली किरन

अमजद इस्लाम अमजद

वो सानेहा हुआ था कि बस दिल दहल गए!

ज़ुल्फ़िक़ार अहमद ताबिश

कभी ख़ुशबू कभी आवाज़ बन जाना पड़ेगा

ज़ुल्फ़िक़ार आदिल

फ़लक को फ़िक्र कोई मेहर-ओ-माह तक पहोंचे

ज़ुहूर-उल-इस्लाम जावेद

ख़ुद को पाने की तलब में आरज़ू उस की भी थी

ज़ुहूर नज़र

जीने की है उमीद न मरने की आस है

ज़ुहैर कंजाही

दीवाना-ए-जुस्तुजू हो गया चाँद

ज़ियाउद्दीन अहमद शकेब

ऐ दिल-नशीं तलाश तिरी कू-ब-कू न थी

ज़िया जालंधरी

अपने होने का हर इक लम्हा पता देती हुई

ज़िया फ़ारूक़ी

नहीं नहीं हमें अब तेरी जुस्तुजू भी नहीं

ज़ेहरा निगाह

हर्फ़ हर्फ़ गूँधे थे तर्ज़ मुश्कबू की थी

ज़ेहरा निगाह

छलक रही है मय-ए-नाब तिश्नगी के लिए

ज़ेहरा निगाह

इसी दर से इसी दीवार से आगे नहीं बढ़ता

ज़िशान मेहदी

कोई ख़बर ही न थी मर्ग-ए-जुस्तुजू की मुझे

ज़ेब ग़ौरी

न अब्र से तिरा साया न तू निकलता है

ज़ेब ग़ौरी

मुराद-ए-शिकवा नहीं लुत्फ़-ए-गुफ़्तुगू के सिवा

ज़ेब ग़ौरी

कोई भी दर न मिला नारसी के मरक़द में

ज़ेब ग़ौरी

ग़ज़ल के शानों पे ख़्वाब-ए-हस्ती ब-चश्म-ए-पुर-नम ठहर गए हैं

ज़ाकिर ख़ान ज़ाकिर

तिरी जुस्तुजू तिरी आरज़ू मुझे काम तेरे ही काम से

ज़की काकोरवी

हैं बज़्म-ए-गुल में बपा नौहा-ख़्वानियाँ क्या क्या

ज़हीर काश्मीरी

अहल-ए-दिल मिलते नहीं अहल-ए-नज़र मिलते नहीं

ज़हीर काश्मीरी

उठ और फिर से रवाना हो डर ज़ियादा नहीं

ज़फ़र इक़बाल

हमें भी मतलब-ओ-मअ'नी की जुस्तुजू है बहुत

ज़फ़र इक़बाल

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