जाओ Poetry (page 24)

साथ साथ अहल-ए-तमन्ना का वो मुज़्तर जाना

बेखुद बदायुनी

मेरे अंदर का पाँचवाँ मौसम

बेदिल हैदरी

अन-कही को कही बनाना है

बेदिल हैदरी

ये साक़ी की करामत है कि फ़ैज़-ए-मय-परस्ती है

बेदम शाह वारसी

शादी ओ अलम सब से हासिल है सुबुकदोशी

बेदम शाह वारसी

खींची है तसव्वुर में तस्वीर-ए-हम-आग़ोशी

बेदम शाह वारसी

अगर काबा का रुख़ भी जानिब-ए-मय-ख़ाना हो जाए

बेदम शाह वारसी

वो दरिया-बार अश्कों की झड़ी है

बयान मेरठी

चले जाना मगर सुन लो मिरे दिल में ये हसरत है

बशीर महताब

अच्छे कभी बुरे हैं हालात आदमी के

बशीर मुंज़िर

बे-बुलाए हुए जाना मुझे मंज़ूर नहीं

मिर्ज़ा रज़ा बर्क़

बे-बुलाए हुए जाना मुझे मंज़ूर नहीं

मिर्ज़ा रज़ा बर्क़

सज़ा

बाक़र मेहदी

ज़र्रे का राज़ मेहर को समझाना चाहिए

बाक़र मेहदी

हम ने जिन को सच्चा जाना

बक़ा बलूच

वा'दे झूटे क़स्में झूटी

बक़ा बलूच

क्यूँ छुपाते हो किधर जाना है

बलवान सिंह आज़र

तर्सील

बलराज कोमल

दिल के हाथों ख़राब हो जाना

बलराज हयात

ख़्वाब नद्दी सा गुज़र जाएगा

बकुल देव

कौन कहता है ठहर जाना है

बकुल देव

न दरवेशों का ख़िर्क़ा चाहिए न ताज-ए-शाहाना

ज़फ़र

गौरय्यों ने जश्न मनाया मेरे आँगन बारिश का

बद्र-ए-आलम ख़लिश

इक़रार किसी दिन है तो इंकार किसी दिन

बद्र वास्ती

अब की बार जो घर जाना तो सारे एल्बम ले आना

अज़रा नक़वी

कैसे कैसे स्वाँग रचाए हम ने दुनिया-दारी में

अज़रा नक़वी

मुझे तक़्सीम कर दो

अज़रा अब्बास

हार को जीत के इम्कान से बाँधे हुए रख

अज़लान शाह

उलझाओ का मज़ा भी तिरी बात ही में था

अज़ीज़ क़ैसी

मैं दस्तरस से तुम्हारी निकल भी सकता हूँ

अज़ीज़ नबील

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