जाम Poetry (page 22)

हुस्न का एक आह ने चेहरा निढाल कर दिया

फ़ना निज़ामी कानपुरी

चेहरा-ए-सुब्ह नज़र आया रुख़-ए-शाम के बाद

फ़ना निज़ामी कानपुरी

न दहर में न हरम में जबीं झुकी होगी

फ़ना बुलंदशहरी

मिरी लौ लगी है तुझ से ग़म-ए-ज़िंदगी मिटा दे

फ़ना बुलंदशहरी

मिरे दाग़-ए-दिल वो चराग़ हैं नहीं निस्बतें जिन्हें शाम से

फ़ना बुलंदशहरी

जो मिटा है तेरे जमाल पर वो हर एक ग़म से गुज़र गया

फ़ना बुलंदशहरी

जब तक मिरे होंटों पे तिरा नाम रहेगा

फ़ना बुलंदशहरी

सजाओ बज़्म ग़ज़ल गाओ जाम ताज़ा करो

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

ज़िंदाँ की एक सुब्ह

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

यास

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

यहाँ से शहर को देखो

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

तुम्हारे हुस्न के नाम

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

शीशों का मसीहा कोई नहीं

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

'सज्जाद-ज़हीर' के नाम

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

मंज़र

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

ख़ुदा वो वक़्त न लाए

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

हम तो मजबूर थे इस दिल से

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

हज़र करो मिरे तन से

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

दस्त-ए-तह-ए-संग-आमदा

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

अश्गाबाद की शाम

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

यक-ब-यक शोरिश-ए-फ़ुग़ाँ की तरह

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

शरह-ए-फ़िराक़ मदह-ए-लब-ए-मुश्कबू करें

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

न किसी पे ज़ख़्म अयाँ कोई न किसी को फ़िक्र रफ़ू की है

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

कुछ मोहतसिबों की ख़ल्वत में कुछ वाइ'ज़ के घर जाती है

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

जमेगी कैसे बिसात-ए-याराँ कि शीशा ओ जाम बुझ गए हैं

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

हसरत-ए-दीद में गुज़राँ हैं ज़माने कब से

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

आज यूँ मौज-दर-मौज ग़म थम गया इस तरह ग़म-ज़दों को क़रार आ गया

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

क्यूँ आसमान-ए-हिज्र के तारे चले गए

फ़ैसल फेहमी

नज़्र-ए-फ़िराक़

फ़हमीदा रियाज़

चलती साँसों को जाम करने लगा

फ़हमी बदायूनी

Collection of Hindi Poetry. Get Best Hindi Shayari, Poems and ghazal. Read shayari Hindi, poetry by famous Hindi and Urdu poets. Share poetry hindi on Facebook, Whatsapp, Twitter and Instagram.