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Collection: जगह Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Darsaal

जगह Poetry

इक्कीसवीं सदी का इश्क़

मर्यम तस्लीम कियानी

दस्तूर साज़ी की कोशिश

रज़ा नक़वी वाही

मेरे आसमान के चाँद को ख़बर दो

मर्यम तस्लीम कियानी

मोहब्बतों में मुझे तो उदास रहने दे

फ़रह शाहिद

भली हो या कि बुरी हर नज़र समझता है

अतुल अजनबी

बाज़-गश्त

अर्श सिद्दीक़ी

ये जहान-ए-आब-ओ-गिल लगता है इक माया मुझे

अहमद अली बर्क़ी आज़मी

जवाँ होता बुढ़ापा

ममता तिवारी

महा-भारत

ग़ज़नफ़र

जाम ख़ाली हैं मय-ए-नाब कहाँ से लाऊँ

ये शोर-ओ-शर तो पहले दिन से आदम-ज़ाद में है

ज़ुल्फ़िक़ार अहमद ताबिश

ये मेज़ ये किताब ये दीवार और मैं

ज़ुल्फ़िक़ार आदिल

शुक्र किया है इन पेड़ों ने सब्र की आदत डाली है

ज़ुल्फ़िक़ार आदिल

पेड़ों से बात-चीत ज़रा कर रहे हैं हम

ज़ुल्फ़िक़ार आदिल

निकला हूँ शहर-ए-ख़्वाब से ऐसे अजीब हाल में

ज़ुल्फ़िक़ार आदिल

मैं जहाँ था वहीं रह गया माज़रत

ज़ुल्फ़िक़ार आदिल

कभी ख़ुशबू कभी आवाज़ बन जाना पड़ेगा

ज़ुल्फ़िक़ार आदिल

सफ़ा और सिद्क़ के बेटे

ज़ुबैर रिज़वी

मा-बा'द जदीद

ज़ुबैर रिज़वी

हमारा दिल तो हमेशा से इक जगह पर है

ज़ुबैर अली ताबिश

फ़ोन तो दूर वहाँ ख़त भी नहीं पहुँचेंगे

ज़िया मज़कूर

कोई भी रस्ता बहुत सोच कर चुनूँगा मैं

ज़िया मज़कूर

हम

ज़िया जालंधरी

जब उन्ही को न सुना पाए ग़म-ए-जाँ अपना

ज़िया जालंधरी

शहर के एक कुशादा घर में

ज़ेहरा निगाह

नया घर

ज़ेहरा निगाह

एक लड़की

ज़ेहरा निगाह

बुलावा

ज़ेहरा निगाह

क़ुर्बतों से कब तलक अपने को बहलाएँगे हम

ज़ेहरा निगाह

मिडिल-क्लास

ज़ेहरा अलवी

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