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Collection: प्रेम Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 102 - Darsaal

प्रेम Poetry (page 102)

ऐ मियाँ कौन ये कहता है मोहब्बत की है

अहमद अता

हम तिरे इश्क़ में कुछ ऐसे ठिकाने लग जाएँ

अहमद अशफ़ाक़

अब अगर इश्क़ के आसार नहीं बदलेंगे

आग़ाज़ बरनी

घर से निकलना जब मिरी तक़दीर हो गया

आग़ाज़ बरनी

अब अगर इश्क़ के आसार नहीं बदलेंगे

आग़ाज़ बरनी

जान देते ही बनी इश्क़ के दीवाने से

आग़ा शाएर क़ज़लबाश

इश्क़ हो जाएगा मेरी दास्तान-ए-इश्क़ से

आग़ा हज्जू शरफ़

उड़ कर सुराग़-ए-कूचा-ए-दिलबर लगाइए

आग़ा हज्जू शरफ़

तीर-ए-नज़र से छिद के दिल-अफ़गार ही रहा

आग़ा हज्जू शरफ़

तिरछी नज़र न हो तरफ़-ए-दिल तो क्या करूँ

आग़ा हज्जू शरफ़

तिरे वास्ते जान पे खेलेंगे हम ये समाई है दिल में ख़ुदा की क़सम

आग़ा हज्जू शरफ़

रुलवा के मुझ को यार गुनहगार कर नहीं

आग़ा हज्जू शरफ़

रंग जिन के मिट गए हैं उन में यार आने को है

आग़ा हज्जू शरफ़

रहा करते हैं यूँ उश्शाक़ तेरी याद ओ हसरत में

आग़ा हज्जू शरफ़

पुर-नूर जिस के हुस्न से मदफ़न था कौन था

आग़ा हज्जू शरफ़

परी-पैकर जो मुझ वहशी का पैराहन बनाते हैं

आग़ा हज्जू शरफ़

नाहक़ ओ हक़ का उन्हें ख़ौफ़-ओ-ख़तर कुछ भी नहीं

आग़ा हज्जू शरफ़

लुटाते हैं वो बाग़-ए-इश्क़ जाए जिस का जी चाहे

आग़ा हज्जू शरफ़

जवानी आई मुराद पर जब उमंग जाती रही बशर की

आग़ा हज्जू शरफ़

जब से हुआ है इश्क़ तिरे इस्म-ए-ज़ात का

आग़ा हज्जू शरफ़

इश्क़-ए-दहन में गुज़री है क्या कुछ न पूछिए

आग़ा हज्जू शरफ़

हम हैं ऐ यार चढ़ाए हुए पैमाना-ए-इश्क़

आग़ा हज्जू शरफ़

हुए ऐसे ब-दिल तिरे शेफ़्ता हम दिल-ओ-जाँ को हमेशा निसार किया

आग़ा हज्जू शरफ़

हुआ है तौर-ए-बर्बादी जो बे-दस्तूर पहलू में

आग़ा हज्जू शरफ़

हवस गुलज़ार की मिस्ल-ए-अनादिल हम भी रखते थे

आग़ा हज्जू शरफ़

घिसते घिसते पाँव में ज़ंजीर आधी रह गई

आग़ा हज्जू शरफ़

दरपेश अजल है गंज-ए-शहीदाँ ख़रिदिए

आग़ा हज्जू शरफ़

आग लगा दी पहले गुलों ने बाग़ में वो शादाबी की

आग़ा हज्जू शरफ़

कारज़ार-ए-इश्क़-ओ-सर-मस्ती में नुसरत-याब हों

अफ़ज़ल परवेज़

बाग़ क्या क्या शजर दिखाते हैं

अफ़ज़ाल नवेद

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