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Collection: हिज्र Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 28 - Darsaal

हिज्र Poetry (page 28)

आप बिक जाए कोई ऐसा ख़रीदार न था

असर लखनवी

मलाल-ए-हिज्र नहीं रंज-ए-बे-रुख़ी भी नहीं

असद जाफ़री

ये जो शाम ज़र-निगार है

असअ'द बदायुनी

मौसम-ए-हिज्र तो दाइम है न रुख़्सत होगा

असअ'द बदायुनी

कहते हैं लोग शहर तो ये भी ख़ुदा का है

असअ'द बदायुनी

वो क्या लिखता जिसे इंकार करते भी हिजाब आया

आरज़ू लखनवी

न कोई जल्वती न कोई ख़ल्वती न कोई ख़ास था न कोई आम था

आरज़ू लखनवी

हम जुनूँ पेशा कि रहते थे तिरी ज़ात में गुम

अरशद महमूद नाशाद

सुरूर-ए-इश्क़ ने उल्फ़त से बाँध रक्खा है

अरशद लतीफ़

क्या कहूँ कितनी अज़िय्यत से निकाली गई शब

अरशद जमाल 'सारिम'

सोते हैं फैल फैल के सारे पलंग पर

अरशद अली ख़ान क़लक़

न वो ख़ुशबू है गुलों में न ख़लिश ख़ारों में

अरशद अली ख़ान क़लक़

बुत-परस्ती ने किया आशिक़-ए-यज़्दाँ मुझ को

अरशद अली ख़ान क़लक़

बुत-परस्ती ने किया आशिक़-ए-यज़्दाँ मुझ को

अरशद अली ख़ान क़लक़

बशर के फ़ैज़-ए-सोहबत से लियाक़त आ ही जाती है

अरशद अली ख़ान क़लक़

आएँगे वो तो आप में हरगिज़ न आएँगे

अरशद अली ख़ान क़लक़

मैं अपने आप को भी देखने से क़ासिर हूँ

अरशद अब्दुल हमीद

लकीर-ए-संग को अन्क़ा-मिसाल हम ने किया

अरशद अब्दुल हमीद

इश्क़ मरहून-ए-हिकायात-ओ-गुमाँ भी होगा

अरशद अब्दुल हमीद

फ़सील-ए-सब्र में रौज़न बनाना चाहती है

अरशद अब्दुल हमीद

जब सितारों की रिदा काँधे से सरकाती है रात

अर्जुमंद बानो अफ़्शाँ

ज़िंदगी यूँ करें बसर कब तक

आरिफ़ इशतियाक़

तुम्हारे हिज्र में मरना था कौन सा मुश्किल

आरिफ़ इमाम

नफ़स की आमद-ओ-शुद को वबाल कर के भी

आरिफ़ इमाम

कुछ ऐसे ज़ख़्म-ए-ज़माना का इंदिमाल किया

आरिफ़ इमाम

मुझे ब-फ़ैज़-ए-तफ़क्कुर हुआ है ये इदराक

आरिफ़ फ़रहाद

मय-कशो जान के लाले नज़र आते हैं मुझे

अक़ील शादाब

हर इश्क़ के मंज़र में था इक हिज्र का मंज़र

अक़ील अब्बास जाफ़री

एहसास-ए-ज़ियाँ हम में से अक्सर में नहीं था

अक़ील अब्बास जाफ़री

अब तिरे हिज्र में यूँ उम्र बसर होती है

अनवापुल हसन अनवार

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