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Collection: हुआ Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 91 - Darsaal

हुआ Poetry (page 91)

जिस को तय कर न सके आदमी सहरा है वही

सग़ीर मलाल

एक रहने से यहाँ वो मावरा कैसे हुआ

सग़ीर मलाल

ज़ुल्फ़-ए-बरहम की जब से शनासा हुई

साग़र सिद्दीक़ी

वक़्त के रंगीं गुल-दस्ते को याद आएगा ठंडा हाथ

साग़र सिद्दीक़ी

पूछा किसी ने हाल किसी का तो रो दिए

साग़र सिद्दीक़ी

मता-ए-कौसर-ओ-ज़मज़म के पैमाने तिरी आँखें

साग़र सिद्दीक़ी

जज़्बा-ए-सोज़-ए-तलब को बे-कराँ करते चलो

साग़र सिद्दीक़ी

है दुआ याद मगर हर्फ़-ए-दुआ याद नहीं

साग़र सिद्दीक़ी

चराग़-ए-तूर जलाओ बड़ा अँधेरा है

साग़र सिद्दीक़ी

होली

साग़र निज़ामी

यूँ न रह रह कर हमें तरसाइए

साग़र निज़ामी

रातों को तसव्वुर है उन का और चुपके चुपके रोना है

साग़र निज़ामी

नग़्मे हवा ने छेड़े फ़ितरत की बाँसुरी में

साग़र निज़ामी

कुछ तो वफ़ा का रंग हो दस्त-ए-जफ़ा के साथ

साग़र मेहदी

उस्ताद मर गए

साग़र ख़य्यामी

टेम्परेरी जॉब

साग़र ख़य्यामी

नवादिरात की दूकान

साग़र ख़य्यामी

होली

साग़र ख़य्यामी

गले पड़ा मेहमान

साग़र ख़य्यामी

गधों का मुशाएरे

साग़र ख़य्यामी

दिल्ली की लड़कियाँ

साग़र ख़य्यामी

क्रिकेट मैच

साग़र ख़य्यामी

सारी जफ़ाएँ सारे करम याद आ गए

साग़र ख़य्यामी

कहूँ तो क्या मैं कहूँ प्यारी प्यारी आँखों को

साग़र ख़य्यामी

सामान तो गया था मगर घर भी ले गया

साग़र आज़मी

पैमाना तिरे लब हैं आँखें तिरी मय-ख़ाना

सागर जलालाबादी

दश्त गुलज़ार हुआ जाता है

सफ़िया शमीम

शम-ए-उम्मीद जला बैठे थे

सफ़िया शमीम

उर्दू-ए-मुअ'ल्ला

सफ़ी लखनवी

तड़प के रात बसर की जो इक मुहिम सर की

सफ़ी लखनवी

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