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Collection: हुआ Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 86 - Darsaal

हुआ Poetry (page 86)

था मिरा नाख़ुन-ए-तराशीदा

सख़ी लख़नवी

ली ज़बाँ उस की जो मुँह में हो गया ज़ौक़-ए-नबात

सख़ी लख़नवी

रुख़ पर है मलाल आज कैसा

सख़ी लख़नवी

पहलू में बैठ कर वो पाते क्या

सख़ी लख़नवी

दिल उसे दे दिया 'सख़ी' ही तो है

सख़ी लख़नवी

दिल ही मेरा फ़क़त है मतलब का

सख़ी लख़नवी

अपने क़ासिद को सबा बाँधते हैं

सख़ी लख़नवी

दुआओं में असर बाक़ी न आहों में असर बाक़ी

सज्जाद शम्सी

शहर के आबाद सन्नाटों की वहशत देख कर

सज्जाद बाक़र रिज़वी

सुब्ह

सज्जाद बाक़र रिज़वी

वो तेरी इनायत की सज़ा याद है अब तक

सज्जाद बाक़र रिज़वी

उसे मैं तलाश कहाँ करूँ वो उरूज है मैं ज़वाल हूँ

सज्जाद बाक़र रिज़वी

शो'ला सा कोई बर्क़-ए-नज़र से नहीं उठता

सज्जाद बाक़र रिज़वी

राहों के ऊँच-नीच ज़रा देख-भाल के

सज्जाद बाक़र रिज़वी

पूछो मुझे ऐ हम-नफ़साँ कौन हूँ क्या हूँ

सज्जाद बाक़र रिज़वी

मैं हम-नफ़साँ जिस्म हूँ वो जाँ की तरह था

सज्जाद बाक़र रिज़वी

मैं हम-नफ़साँ जिस्म हूँ वो जाँ की तरह था

सज्जाद बाक़र रिज़वी

लफ़्ज़ जब कोई न हाथ आया मआनी के लिए

सज्जाद बाक़र रिज़वी

जुर्म-ए-इज़हार-ए-तमन्ना आँख के सर आ गया

सज्जाद बाक़र रिज़वी

हमें चार सम्त की दौड़ में वही गर्द-ए-बाद-ए-सदा मिला

सज्जाद बाक़र रिज़वी

फ़रेब था अक़्ल-ओ-आगही का कि मेरी फ़िक्र-ओ-नज़र का धोका

सज्जाद बाक़र रिज़वी

दुनिया दुनिया सैर सफ़र थी शौक़ की राह तमाम हुई

सज्जाद बाक़र रिज़वी

दिल ख़ूँ हुआ है शोख़ी-ए-रंग-ए-हिना के साथ

सज्जाद बाक़र रिज़वी

दिल दश्त है वफ़ूर-ए-तमन्ना ग़ुबार है

सज्जाद बाक़र रिज़वी

चाहत जी का रोग है प्यारे जी को रोक लगाओ क्यूँ

सज्जाद बाक़र रिज़वी

अहद-ए-वफ़ा सुबुक-हवा रंग-ए-वफ़ा के साथ साथ

सज्जाद बाक़र रिज़वी

अब वो जो नहीं उन की तमन्ना भी बहुत है

सज्जाद बाक़र रिज़वी

अब के क़िमार-ए-इश्क़ भी ठहरा एक हुनर दानाई का

सज्जाद बाक़र रिज़वी

ये सराबों की शरारत भी न हो तो क्या हो

सज्जाद बलूच

तुम ग़लत समझे हमें और परेशानी है

सज्जाद बलूच

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