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Collection: हुआ Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 63 - Darsaal

हुआ Poetry (page 63)

हाल उस का तिरे चेहरे पे लिखा लगता है

शहज़ाद अहमद

घर जला लेता है ख़ुद अपने ही अनवार से तू

शहज़ाद अहमद

दिल-ए-फ़सुर्दा उसे क्यूँ गले लगा न लिया

शहज़ाद अहमद

दिल से ये कह रहा हूँ ज़रा और देख ले

शहज़ाद अहमद

दिल का बुरा नहीं मगर शख़्स अजीब ढब का है

शहज़ाद अहमद

देखने उस को कोई मेरे सिवा क्यूँ आए

शहज़ाद अहमद

देख अब अपने हयूले को फ़ना होते हुए

शहज़ाद अहमद

बाग़-ए-बहिश्त के मकीं कहते हैं मर्हबा मुझे

शहज़ाद अहमद

बाग़ का बाग़ उजड़ गया कोई कहो पुकार कर

शहज़ाद अहमद

अस्ल में हूँ मैं मुजरिम मैं ने क्यूँ शिकायत की

शहज़ाद अहमद

अब न वो शोर न वो शोर मचाने वाले

शहज़ाद अहमद

आती है दम-ब-दम ये सदा जागते रहो

शहज़ाद अहमद

आज तक उस की मोहब्बत का नशा तारी है

शहज़ाद अहमद

वो कौन था वो कहाँ का था क्या हुआ था उसे

शहरयार

सभी को ग़म है समुंदर के ख़ुश्क होने का

शहरयार

रात को दिन से मिलाने की हवस थी हम को

शहरयार

नज़राना तेरे हुस्न को क्या दें कि अपने पास

शहरयार

मिरे सूरज आ! मिरे जिस्म पे अपना साया कर

शहरयार

मैं सोचता हूँ मगर याद कुछ नहीं आता

शहरयार

ख़जिल चराग़ों से अहल-ए-वफ़ा को होना है

शहरयार

कहाँ तक वक़्त के दरिया को हम ठहरा हुआ देखें

शहरयार

है कोई जो बताए शब के मुसाफ़िरों को

शहरयार

गुलाब टहनी से टूटा ज़मीन पर न गिरा

शहरयार

चल चल के थक गया है कि मंज़िल नहीं कोई

शहरयार

आँधियाँ आती थीं लेकिन कभी ऐसा न हुआ

शहरयार

ज़िंदा रहने का ये एहसास

शहरयार

वो मोड़

शहरयार

उम्मीद ओ बीम

शहरयार

तन्हाई

शहरयार

फिर सफ़र बे-सम्त बे-मंज़िल हुआ

शहरयार

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