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Collection: हुआ Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 59 - Darsaal

हुआ Poetry (page 59)

हम-जिंस अगर मिले न कोई आसमान पर

शकेब जलाली

ग़म-ए-उल्फ़त मिरे चेहरे से अयाँ क्यूँ न हुआ

शकेब जलाली

ग़म-ए-दिल हीता-ए-तहरीर में आता ही नहीं

शकेब जलाली

गले मिला न कभी चाँद बख़्त ऐसा था

शकेब जलाली

बद-क़िस्मती को ये भी गवारा न हो सका

शकेब जलाली

आया है हर चढ़ाई के बा'द इक उतार भी

शकेब जलाली

आग के दरमियान से निकला

शकेब जलाली

आ के पत्थर तो मिरे सहन में दो चार गिरे

शकेब जलाली

तू न आया तिरी यादों की हवा तो आई

शकेब बनारसी

न दिन पहाड़ लगे अब न रात भारी लगे

शकेब बनारसी

झोंका हवा का अध-खुली खिड़की तक आ न जाए

शकेब अयाज़

बे-आब-ओ-बे-ग्याह हुआ उस को छोड़ कर

शकेब अयाज़

सुन ली रामायन की जब पूरी कथा

शाइस्ता यूसुफ़

बस वही लम्हा आँख देखेगी

शाइस्ता यूसुफ़

जुनून-ए-इश्क़ की आमादगी ने कुछ न दिया

शाइस्ता सहर

शब-ए-तन्हाई

शाइस्ता मुफ़्ती

रख़्त-ए-सफ़र

शाइस्ता मुफ़्ती

आज लगता है समुंदर में है तुग़्यानी सी

शाइस्ता मुफ़्ती

तुम आओगे

शाइस्ता हबीब

यूँ न हो यूँ हो यूँ हुआ सो क्यूँ

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम

रुख़्सार के अरक़ का तिरे भाव देख कर

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम

नासेह बग़ल में आ कर दुश्मन हुआ हमारा

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम

मैं कुफ़्र ओ दीं से गुज़र कर हुआ हूँ ला-मज़हब

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम

क्या मदरसे में दहर के उल्टी हवा बही

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम

क्या बड़ा ऐब है इस जामा-ए-उर्यानी में

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम

कपड़े सफ़ेद धो के जो पहने तो क्या हुआ

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम

जो अज़ल में क़लम चली सो चली

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम

जिस तरफ़ को मैं गया रोता हुआ

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम

इन दिनों सब को हुआ है साफ़-गोई का तलाश

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम

हाथ आता नहीं बग़ैर नसीब

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम

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