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Collection: हुआ Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 118 - Darsaal

हुआ Poetry (page 118)

इस से पहले कि ज़मीं-ज़ाद शरारत कर जाएँ

इदरीस बाबर

इस से पहले कि ज़मीं-ज़ाद शरारत कर जाएँ

इदरीस बाबर

दोस्त कुछ और भी हैं तेरे अलावा मिरे दोस्त

इदरीस बाबर

अब मसाफ़त में तो आराम नहीं आ सकता

इदरीस बाबर

हवादिसात ज़रूरी हैं ज़िंदगी के लिए

इबरत मछलीशहरी

उन्स तो होता है दीवाने से दीवाने को

इबरत बहराईची

ख़याल-ए-बद से हमा-वक़्त इज्तिनाब करो

इबरत बहराईची

ख़ुद अपने आप से लेना था इंतिक़ाम मुझे

इब्राहीम अश्क

ज़िंदगी वादी ओ सहरा का सफ़र है क्यूँ है

इब्राहीम अश्क

रू-ब-रू उन के कोई हर्फ़ अदा क्या करते

इब्राहीम अश्क

मोहब्बतों में जो मिट मिट के शाहकार हुआ

इब्राहीम अश्क

मिशअल-ब-कफ़ कभी तो कभी दिल-ब-दस्त था

इब्राहीम अश्क

दैर-ओ-हरम में दश्त-ओ-बयाबान-ओ-बाग़ में

इब्राहीम होश

हुस्न बना जब बहती गंगा

इब्न-ए-सफ़ी

कुछ तो तअल्लुक़ कुछ तो लगाओ

इब्न-ए-सफ़ी

कुछ भी तो अपने पास नहीं जुज़-मता-ए-दिल

इब्न-ए-सफ़ी

कर बुरा तो भला नहीं होता

इब्न-ए-मुफ़्ती

दिल वही अश्क-बार रहता है

इब्न-ए-मुफ़्ती

आन के इस बीमार को देखे तुझ को भी तौफ़ीक़ हुई

इब्न-ए-इंशा

ये कौन आया

इब्न-ए-इंशा

पिछले-पहर के सन्नाटे में

इब्न-ए-इंशा

फिर शाम हुई

इब्न-ए-इंशा

लब पर नाम किसी का भी हो

इब्न-ए-इंशा

कातिक का चाँद

इब्न-ए-इंशा

इस बस्ती के इक कूचे में

इब्न-ए-इंशा

एक लड़का

इब्न-ए-इंशा

दिल पीत की आग में जलता है

इब्न-ए-इंशा

ऐ मतवालो! नाक़ों वालो!!

इब्न-ए-इंशा

कल चौदहवीं की रात थी शब भर रहा चर्चा तिरा

इब्न-ए-इंशा

इस शहर के लोगों पे ख़त्म सही ख़ु-तलअ'ती-ओ-गुल-पैरहनी

इब्न-ए-इंशा

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