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Collection: गुलनार Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Darsaal

गुलनार Poetry

ख़बर

यूसुफ़ ज़फ़र

जब अपना मुक़द्दर ठहरे हैं ज़ख़्मों के गुलिस्ताँ और सही

शाहिद अख़्तर

ख़ाल-ए-मश्शाता बना काजल का चश्म-ए-यार पर

शाह नसीर

हार बना इन पारा-ए-दिल का माँग न गजरा फूलों का

शाह नसीर

दिल के शजर को ख़ून से गुलनार देख कर

सैफ़ ज़ुल्फ़ी

क्यूँ अंधेरों का मुसाफ़िर है मुक़द्दर अपना

रिफ़अतुल क़ासमी

प्रोफ़ेसर ही जब आते हों हफ़्ता-वार कॉलेज में

इनाम-उल-हक़ जावेद

दुपट्टा वो गुलनार दिखला गए

इमदाद अली बहर

आज़ुर्दा हो गया वो ख़रीदार बे-सबब

इमदाद अली बहर

गेसू ओ रुख़्सार की बातें करें

इमाम अाज़म

इस बस्ती के इक कूचे में

इब्न-ए-इंशा

धूल न बनना आईनों पर बार न होना

गुलज़ार वफ़ा चौदरी

शफ़क़

गुलज़ार

हर घड़ी बीमार हो कर रह गई

गोपाल कृष्णा शफ़क़

तीन मंज़र

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

मुलाक़ात

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

हम तो मजबूर-ए-वफ़ा हैं

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

सुब्ह की आज जो रंगत है वो पहले तो न थी

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

फ़िक्र-ए-दिलदारी-ए-गुलज़ार करूँ या न करूँ

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

एक रात की कहानी

फ़हमीदा रियाज़

छेड़ा ज़रा सबा ने तो गुलनार हो गए

बशर नवाज़

जो तुम और सुब्ह और गुलनार-ए-ख़ंदाँ हो के मिल बैठे

बक़ा उल्लाह 'बक़ा'

क्या तुम ने कभी ज़िंदगी करते हुए देखा

अतीक़ुल्लाह

कोई ले ज़ोर की चुटकी तो है इंकार पोशीदा

अमीरुल इस्लाम हाशमी

ख़ुद को हर आरज़ू के उस पार कर लिया है

अमीर इमाम

वो मिरी दोस्त वो हमदर्द वो ग़म-ख़्वार आँखें

अली सरदार जाफ़री

शम्अ' का मय का शफ़क़-ज़ार का गुलज़ार का रंग

अली सरदार जाफ़री

ख़याल

अफ़रोज़ आलम

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