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Collection: गुलिस्ताँ Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 14 - Darsaal

गुलिस्ताँ Poetry (page 14)

गर्दिश-ए-मय का इस पर न होगा असर मस्त आँखों का जादू जिसे याद है

अलीम उस्मानी

मुझे ले चल

अख़्तर शीरानी

एक हुस्न-फ़रोश से

अख़्तर शीरानी

बजा कि है पास-ए-हश्र हम को करेंगे पास-ए-शबाब पहले

अख़्तर शीरानी

आरज़ू वस्ल की रखती है परेशाँ क्या क्या

अख़्तर शीरानी

ये हम से पूछते हो रंज-ए-इम्तिहाँ क्या है

अख़्तर सईद ख़ान

दारू-ए-होश-रुबा नर्गिस-ए-बीमार तो हो

अख़्तर ओरेनवी

ज़िंदगी होगी मिरी ऐ ग़म-ए-दौराँ इक रोज़

अख़्तर अंसारी अकबराबादी

नज़र से सफ़्हा-ए-आलम पे ख़ूनीं दास्ताँ लिखिए

अख़्तर अंसारी अकबराबादी

अपनी बहार पे हँसने वालो कितने चमन ख़ाशाक हुए

अख़्तर अंसारी

हू-ब-हू आप ही की मूरत है

अकबर हमीदी

अभी ज़मीन को हफ़्त आसमाँ बनाना है

अकबर हमीदी

इस गुलिस्ताँ में बहुत कलियाँ मुझे तड़पा गईं

अकबर इलाहाबादी

जो कल हैरान थे उन को परेशाँ कर के छोड़ूँगा

अजमल सिराज

शहर शहर ढूँड आए दर-ब-दर पुकार आए

अजमल अजमली

मआल-ए-सोज़-ए-तलब था दिल-ए-तपाँ मालूम

अहसन रिज़वी दानापुरी

मुतमइन अपने यक़ीं पर अगर इंसाँ हो जाए

अहसन मारहरवी

ख़याल वो भी मिरे ज़ेहन के मकान में था

अहसन इमाम अहसन

नए ज़मानों की चाप तो सर पे आ खड़ी थी

अहमद शहरयार

हम ही बदलेंगे रह-ओ-रस्म-ए-गुलिस्ताँ यारो

अहमद रियाज़

दश्त-ए-वफ़ा

अहमद नदीम क़ासमी

मैं हूँ या तू है ख़ुद अपने से गुरेज़ाँ जैसे

अहमद नदीम क़ासमी

जाने कहाँ थे और चले थे कहाँ से हम

अहमद नदीम क़ासमी

मुसलसल याद आती है चमक चश्म-ए-ग़ज़ालाँ की

अहमद मुश्ताक़

याद क्या क्या लोग दश्त-ए-बे-कराँ में आए थे

अहमद हमदानी

कल हम ने बज़्म-ए-यार में क्या क्या शराब पी

अहमद फ़राज़

अब के तजदीद-ए-वफ़ा का नहीं इम्काँ जानाँ

अहमद फ़राज़

क़र्या-ए-इंतिज़ार में उम्र गँवा के आए हैं

अहमद अज़ीम

गो हवा-ए-गुलसिताँ ने मिरे दिल की लाज रख ली

आग़ा हश्र काश्मीरी

याद में तेरी जहाँ को भूलता जाता हूँ मैं

आग़ा हश्र काश्मीरी

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