गुल Poetry (page 82)

ग़ुंचा ग़ुंचा हँस रहा था, पती पत्ती रो गया

अली अकबर नातिक़

अम्न-क़रियों की शफ़क़-फ़ाम सुनहरी चिड़ियाँ

अली अकबर नातिक़

मौसम-ए-गुल पर ख़िज़ाँ का ज़ोर चल जाता है क्यूँ

अलीना इतरत

नज़्म तकमील

अलीना इतरत

सारे मौसम बदल गए शायद

अलीना इतरत

पुकारते पुकारते सदा ही और हो गई

अलीना इतरत

मौसम-ए-गुल पर ख़िज़ाँ का ज़ोर चल जाता है क्यूँ

अलीना इतरत

ख़िज़ाँ की ज़र्द सी रंगत बदल भी सकती है

अलीना इतरत

मोहब्बत क्या मोहब्बत का सिला क्या

अलीम अख़्तर

इस राह-ए-मोहब्बत में तू साथ अगर होता

आलमताब तिश्ना

सिवाए-दर-ब-दरी उस को ख़ाक मिलता है

आलमताब तिश्ना

सफ़र में राह के आशोब से न डर जाना

आलमताब तिश्ना

सफ़र में राह के आशोब से न डर जाना

आलमताब तिश्ना

अब भी ज़र्रों पे सितारों का गुमाँ है कि नहीं

आलमताब तिश्ना

मिलेगा ज़ुल्फ़-ए-आज़ादी उन्हें क्या मौसम-ए-गुल में

आलम मुज़फ्फ़र नगरी

उर्दू

आलम मुज़फ्फ़र नगरी

यादें

अख़्तर-उल-ईमान

सुकून

अख़्तर-उल-ईमान

मुकाफ़ात

अख़्तर-उल-ईमान

शाम

अख़्तर उस्मान

नए सुर की तमसील

अख़्तर उस्मान

ओ देस से आने वाले बता

अख़्तर शीरानी

नज़्र-ए-वतन

अख़्तर शीरानी

मुझे ले चल

अख़्तर शीरानी

एक शाएरा की शादी पर

अख़्तर शीरानी

बस्ती की लड़कियों के नाम

अख़्तर शीरानी

यारो कू-ए-यार की बातें करें

अख़्तर शीरानी

यक़ीन-ए-वादा नहीं ताब-ए-इंतिज़ार नहीं

अख़्तर शीरानी

उन रस भरी आँखों में हया खेल रही है

अख़्तर शीरानी

तमन्नाओं को ज़िंदा आरज़ूओं को जवाँ कर लूँ

अख़्तर शीरानी

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