गुल Poetry (page 81)

क़त्ल-ए-आफ़्ताब

अली सरदार जाफ़री

मिरे अज़ीज़ो, मिरे रफ़ीक़ो

अली सरदार जाफ़री

हाथों का तराना

अली सरदार जाफ़री

एक बात

अली सरदार जाफ़री

दोस्ती का हाथ

अली सरदार जाफ़री

दो चराग़

अली सरदार जाफ़री

बहुत क़रीब हो तुम

अली सरदार जाफ़री

ज़ुल्म की कुछ मीआ'द नहीं है

अली सरदार जाफ़री

वो मिरी दोस्त वो हमदर्द वो ग़म-ख़्वार आँखें

अली सरदार जाफ़री

उलझे काँटों से कि खेले गुल-ए-तर से पहले

अली सरदार जाफ़री

शाख़-ए-गुल है कि ये तलवार खिंची है यारो

अली सरदार जाफ़री

सर्द हैं दिल आतिश-ए-रू-ए-निगाराँ चाहिए

अली सरदार जाफ़री

नग़्मा-ए-ज़ंजीर है और शहर-ए-याराँ इन दिनों

अली सरदार जाफ़री

मौसम-ए-रंग भी है फ़स्ल-ए-ख़िज़ाँ भी तारी

अली सरदार जाफ़री

मस्ती-ए-रिंदाना हम सैराबी-ए-मय-ख़ाना हम

अली सरदार जाफ़री

ख़िरद वालो जुनूँ वालों के वीरानों में आ जाओ

अली सरदार जाफ़री

इश्क़ का नग़्मा जुनूँ के साज़ पर गाते हैं हम

अली सरदार जाफ़री

हम जो महफ़िल में तिरी सीना-फ़िगार आते हैं

अली सरदार जाफ़री

फ़स्ल-ए-गुल फ़स्ल-ए-ख़िज़ाँ जो भी हो ख़ुश-दिल रहिए

अली सरदार जाफ़री

फ़रोग़-ए-दीदा-ओ-दिल लाला-ए-सहर की तरह

अली सरदार जाफ़री

चश्मा-ए-बद-मस्त को फिर शेवा-ए-दिल-दारी दे

अली सरदार जाफ़री

बैठे हैं जहाँ साक़ी पैमाना-ए-ज़र ले कर

अली सरदार जाफ़री

अक़ीदे बुझ रहे हैं शम-ए-जाँ गुल होती जाती है

अली सरदार जाफ़री

अब दर्द में वो कैफ़ियत-ए-दर्द नहीं है

अली जव्वाद ज़ैदी

होली

अली जव्वाद ज़ैदी

नींद आ गई थी मंज़िल-ए-इरफ़ाँ से गुज़र के

अली जव्वाद ज़ैदी

मंज़िल-ए-दिल मिली कहाँ ख़त्म-ए-सफ़र के बाद भी

अली जव्वाद ज़ैदी

ऐश ही ऐश है न सब ग़म है

अली जव्वाद ज़ैदी

रह-ज़नी ख़ूब नहीं ख़्वाजा-सराओं के लिए

अली अकबर नातिक़

कँवल हों आब में ख़ुश गुल सबा में शाद रहें

अली अकबर नातिक़

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