गुल Poetry (page 73)

हवा के लम्स में उस की महक भी होती है

अशरफ़ यूसुफ़

दिए की आँख से जब गुफ़्तुगू नहीं होती

अशरफ़ यूसुफ़

दिल धड़कता है कि तू यार है सौदाई का

अशरफ़ अली फ़ुग़ाँ

बहार आई है सोते को टुक जगा देना

अशरफ़ अली फ़ुग़ाँ

अगर आशिक़ कोई पैदा न होता

अशरफ़ अली फ़ुग़ाँ

नग़्मा उल्फ़त का गा दिया मैं ने

अशोक साहनी साहिल

कश्मकश में हैं तिरी ज़ुल्फ़ों के ज़िंदानी हनूज़

अश्क अमृतसरी

ज़र्द पत्तों पे मिरा नाम लिखा है उस ने

अशफ़ाक़ अंजुम

गुलशन गुलशन शोला-ए-गुल की ज़ुल्फ़-ए-सबा की बात चली

असग़र सलीम

गुलशन गुलशन शो'ला-ए-गुल की ज़ुल्फ़-ए-सबा की बात चली

असग़र सलीम

ग़ुबार सा है सर-ए-शाख़-सार कहते हैं

असग़र सलीम

बस्ती मिली मकान मिले बाम-ओ-दर मिले

असग़र मेहदी होश

क्या मस्तियाँ चमन में हैं जोश-ए-बहार से

असग़र गोंडवी

तिरे जल्वों के आगे हिम्मत-ए-शरह-ओ-बयाँ रख दी

असग़र गोंडवी

न खुले उक़्दा-हा-ए-नाज़-ओ-नियाज़

असग़र गोंडवी

मजाज़ कैसा कहाँ हक़ीक़त अभी तुझे कुछ ख़बर नहीं है

असग़र गोंडवी

मय-ए-बे-रंग का सौ रंग से रुस्वा होना

असग़र गोंडवी

कोई महमिल-नशीं क्यूँ शाद या नाशाद होता है

असग़र गोंडवी

जो नक़्श है हस्ती का धोका नज़र आता है

असग़र गोंडवी

हुस्न को वुसअतें जो दीं इश्क़ को हौसला दिया

असग़र गोंडवी

असरार-ए-इश्क़ है दिल-ए-मुज़्तर लिए हुए

असग़र गोंडवी

आलाम-ए-रोज़गार को आसाँ बना दिया

असग़र गोंडवी

जिस्म पाबंद-ए-गुल सही 'आबिद'

असग़र आबिद

सीम-तन गुल-रुख़ों की बस्ती है

असग़र आबिद

रुमूज़-ए-मोहब्बत

असर सहबाई

ज़ुल्मत-ए-दश्त-ए-अदम में भी अगर जाऊँगा

असर सहबाई

तुम्हारी फ़ुर्क़त में मेरी आँखों से ख़ूँ के आँसू टपक रहे हैं

असर सहबाई

सहरा से चले हैं सू-ए-गुलशन

असर लखनवी

निगह-ए-शौक़ को यूँ आइना-सामानी दे

असर लखनवी

किस तरह खिलते हैं नग़्मों के चमन समझा था मैं

असर लखनवी

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