गुल Poetry (page 72)

आओ अब मिल के गुलिस्ताँ को गुल्सिताँ कर दें

असरार-उल-हक़ मजाज़

कुछ तो मायूस दिल तेरे बस में भी है

असरारुल हक़ असरार

ज़िंदगी उलझी है बिखरे हुए गेसू की तरह

असरा रिज़वी

ये आग मोहब्बत की बुझाए न बुझे है

असरा रिज़वी

मिज़ा पे ख़्वाब नहीं इंतिज़ार सा कुछ है

असलम महमूद

काँटे से भी निचोड़ ली ग़ैरों ने बू-ए-गुल

असलम कोलसरी

जब भी हँसी की गर्द में चेहरा छुपा लिया

असलम कोलसरी

लिबास-ए-गुल में वो ख़ुशबू के ध्यान से निकला

असलम बदर

जगमगाती ख़्वाहिशों का नूर फैला रात भर

असलम आज़ाद

मय-शिकस्ता-दिली ऐ हरीफ़-ए-ज़ौक़-ए-नुमू

असलम अंसारी

कभी ऐसा तमव्वुज तुम ने देखा है

असलम अंसारी

एक नज़्म

असलम अंसारी

वो रंग उड़े हैं कुछ अब के बरस बहारों के

असलम अंसारी

मुझे तो ये भी फ़रेब-ए-हवास लगता है

असलम अंसारी

लरज़ लरज़ के दिल-ए-ना-तवाँ ठहर ही न जाए

असलम अंसारी

जब हमें इज़्न तमाशा होगा

असलम अंसारी

गुबार-ए-एहसास-ए-पेश-ओ-पस की अगर ये बारीक तह हटाएँ

असलम अंसारी

इक बर्ग बर्ग दिन की ख़बर चाहिए मुझे

असलम अंसारी

दर्स-ए-आदाब-ए-जुनूँ याद दिलाने वाले

असलम अंसारी

बुझी है आतिश-ए-रंग-ए-बहार आहिस्ता आहिस्ता

असलम अंसारी

ऐन-मुमकिन है किसी तर्ज़-ए-अदा में आए

असलम अंसारी

अपनी आँखें जो बंद कर देखूँ

आसिमा ताहिर

होंटों को फूल आँख को बादा नहीं कहा

आसिम वास्ती

दामन-ए-गुल में कहीं ख़ार छुपा देखते हैं

आसिम वास्ती

फबा है रुख़ पे तिरे ख़ुश-नुमा सनम लेकिन

आसिफ़ुद्दौला

ये अश्क चश्मों में हमदम रहे रहे न रहे

आसिफ़ुद्दौला

वहशत में सू-ए-दश्त जो ये आह ले गई

आसिफ़ुद्दौला

सीने में दाग़ है तपिश-ए-इंतिज़ार का

आसिफ़ुद्दौला

मिलने को तुझ से दिल तो मिरा बे-क़रार है

आसिफ़ुद्दौला

इस अदा से मुझे सलाम किया

आसिफ़ुद्दौला

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