गुल Poetry (page 70)

दिल आया इस तरह आख़िर फ़रे‌‌‌‌ब-ए-साज़-ओ-सामाँ में

अज़ीज़ लखनवी

नस्रीं में ये महक है न ये नस्तरन में है

अज़ीज़ हैदराबादी

ज़िंदगी नाम है मोहब्बत का

अज़ीज़ हैदराबादी

बढ़ गईं गुस्ताख़ियाँ मेरी सज़ा के साथ साथ

अज़ीज़ हैदराबादी

नरमी हवा की मौज-ए-तरब-ख़ेज़ अभी से है

अज़ीज़ हामिद मदनी

ज़ंजीर-ए-पा से आहन-ए-शमशीर है तलब

अज़ीज़ हामिद मदनी

वही दाग़-ए-लाला की बात है कि ब-नाम-ए-हुस्न उधर गई

अज़ीज़ हामिद मदनी

ताज़ा हवा बहार की दिल का मलाल ले गई

अज़ीज़ हामिद मदनी

सूरत-ए-ज़ंजीर मौज-ए-ख़ूँ में इक आहंग है

अज़ीज़ हामिद मदनी

सलीब ओ दार के क़िस्से रक़म होते ही रहते हैं

अज़ीज़ हामिद मदनी

नावक-ए-ताज़ा दिल पर मारा जंग पुरानी जारी की

अज़ीज़ हामिद मदनी

नरमी हवा की मौज-ए-तरब-ख़ेज़ अभी से है

अज़ीज़ हामिद मदनी

मिरी आँखें गवाह-ए-तल'अत-ए-आतिश हुईं जल कर

अज़ीज़ हामिद मदनी

करम का और है इम्काँ खुले तो बात चले

अज़ीज़ हामिद मदनी

जी-दारो! दोज़ख़ की हवा में किस की मोहब्बत जलती है

अज़ीज़ हामिद मदनी

हिकायत-ए-हुस्न-ए-यार लिखना हदीस-ए-मीना-ओ-जाम कहना

अज़ीज़ हामिद मदनी

हज़ार वक़्त के परतव-नज़र में होते हैं

अज़ीज़ हामिद मदनी

ग़लत-बयाँ ये फ़ज़ा महर ओ कीं दरोग़ दरोग़

अज़ीज़ हामिद मदनी

इक ख़्वाब-ए-आतिशीं का वो महरम सा रह गया

अज़ीज़ हामिद मदनी

आतिश-ए-मीना नज़र आई हरीफ़ाना मुझे

अज़ीज़ हामिद मदनी

जी रहा हूँ मैं उदासी भरी तस्वीर के साथ

अज़हर नैयर

हमें रोको नहीं हम ने बहुत से काम करने हैं

अज़हर अदीब

कर्ब-ए-हिज्राँ ज़ि-बस है क्या कीजे

अज़ीम कुरेशी

फ़ुग़ाँ से तर्क-ए-फ़ुग़ाँ तक हज़ार तिश्ना-लबी है

अज़ीम मुर्तज़ा

कभी नाकामियों का अपनी हम मातम नहीं करते

आज़ाद गुरदासपुरी

किसे मिलती नजात 'आज़ाद' हस्ती के मसाइल से

आज़ाद गुलाटी

बहुत लम्बा सफ़र तपती सुलगती ख़्वाहिशों का था

आज़ाद गुलाटी

इस क़दर ग़म है कि इज़हार नहीं कर सकते

अय्यूब ख़ावर

बर्ग-ए-गुल शाख़-ए-हिज्र का कर दे

अय्यूब ख़ावर

अब तो आए नज़र में जो भी हो

अय्यूब ख़ावर

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