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Collection: दुख Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 18 - Darsaal

दुख Poetry (page 18)

सावन आया छाने लगे घोर घन घोर बादल

अमीक़ हनफ़ी

इक अश्क सर-ए-शोख़ी-ए-रुख़सार में गुम है

अमीन अडीराई

मुश्किल को समझने का वसीला निकल आता

अम्बर खरबंदा

नशात-ए-उमीद

अल्ताफ़ हुसैन हाली

मुनाजात-ए-बेवा

अल्ताफ़ हुसैन हाली

हुब्ब-ए-वतन

अल्ताफ़ हुसैन हाली

मेरे ही आस-पास हो तुम भी

आलोक मिश्रा

जाने किस बात से दुखा है बहुत

आलोक मिश्रा

एहसास

अलमास शबी

दिया मुंडेर पे दिल की जला रही हूँ मैं

अलमास शबी

तस्वीर-ए-दर्द

अल्लामा इक़बाल

जंगल भी थे दरिया भी

अली वजदान

तीन शराबी

अली सरदार जाफ़री

पुर्सा

अली साहिल

ख़ुद-साख़्ता दुख

अली साहिल

ए'तिबार

अली साहिल

गुनाह

अली मोहम्मद फ़र्शी

है ख़मोश आँसुओं में भी नशात-ए-कामरानी

अली जव्वाद ज़ैदी

अब कोई ग़म ही नहीं है जो रुलाए मुझ को

अली इमरान

गर्दिश-ए-मय का इस पर न होगा असर मस्त आँखों का जादू जिसे याद है

अलीम उस्मानी

शिकस्त-ए-शीशा-ए-दिल की सदा हूँ

आलमताब तिश्ना

किस लम्हे हम तेरा ध्यान नहीं करते

आलम ख़ुर्शीद

अगर हर चीज़ में उस ने असर रक्खा हुआ है

अकरम महमूद

पस-मंज़र

अख़्तर-उल-ईमान

काले सफ़ेद परों वाला परिंदा और मेरी एक शाम

अख़्तर-उल-ईमान

तिरे बग़ैर मसाफ़त का ग़म कहाँ कम है

अख्तर शुमार

बस्ती की लड़कियों के नाम

अख़्तर शीरानी

जीते-जी दुख सुख के लम्हे आते जाते रहते हैं

अख़तर इमाम रिज़वी

अपना दुख अपना है प्यारे ग़ैर को क्यूँ उलझाओगे

अख़तर इमाम रिज़वी

कच्चे मकान जितने थे बारिश में बह गए

अख़्तर होशियारपुरी

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