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Collection: दुख Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 14 - Darsaal

दुख Poetry (page 14)

आँख को जकड़े थे कल ख़्वाब अज़ाबों के

फ़रहत शहज़ाद

मोहब्बत का ये रुख़ देखा नहीं था

फ़रहत नदीम हुमायूँ

है वही एक मेरे सिवा और मैं

फ़रहत नदीम हुमायूँ

वस्ल के लम्हे कहानी हो गए

फ़रहत कानपुरी

सूने सियाह शहर पे मंज़र-पज़ीर मैं

फ़रहत एहसास

किस सलीक़े से वो मुझ में रात-भर रह कर गया

फ़रहत एहसास

तू ने देखा है कभी एक नज़र शाम के बा'द

फ़रहत अब्बास शाह

ना-शगुफ़्ता कलियों में शौक़ है तबस्सुम का

फ़रीद जावेद

तो मुझे एक झलक भी नहीं दिखलानी क्या

फ़राज़ महमूद फ़ारिज़

सारे मंज़र दिलकश थे हर बात सुहानी लगती थी

फ़रह इक़बाल

जिस्म में गूँजता है रूह पे लिक्खा दुख है

फ़क़ीह हैदर

अब नए सुर से छेड़ पर्दा-ए-साज़

फ़ानी बदायुनी

लोग कहते हैं बहुत हम ने कमाई दुनिया

फ़ैज़ ख़लीलाबादी

और भी दुख हैं ज़माने में मोहब्बत के सिवा

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

वासोख़्त

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

तुम ही कहो क्या करना है

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

तीन मंज़र

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

सोच

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

शाएर लोग

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

रक़ीब से!

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

मुझ से पहली सी मोहब्बत मिरी महबूब न माँग

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

मोरी अर्ज सुनो

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

मिरे हमदम मिरे दोस्त!

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

फ़र्श-ए-नौमीदी-ए-दीदार

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

एक मंज़र

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

भाई

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

जारी तो हो सब के लिए फ़रमान-ए-मोहब्बत

फ़ैय्याज़ रश्क़

हर्फ़ अपने ही मआनी की तरह होता है

फ़ैसल अजमी

अब तो कुछ भी याद नहीं

फ़हीम शनास काज़मी

कितने तूफ़ानों से हम उलझे तुझे मालूम क्या

फ़हीम जोगापुरी

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