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Collection: दिया Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 65 - Darsaal

दिया Poetry (page 65)

आब की तासीर में हूँ प्यास की शिद्दत में हूँ

भारत भूषण पन्त

सुन के सारी दास्तान-ए-रंज-ओ-ग़म

बेख़ुद देहलवी

क्या कह दिया ये आप ने चुपके से कान में

बेख़ुद देहलवी

हमें पीने से मतलब है जगह की क़ैद क्या 'बेख़ुद'

बेख़ुद देहलवी

न सही आप हमारे जो मुक़द्दर में नहीं

बेख़ुद देहलवी

जो तुझे इम्तिहान देता है

बेख़ुद देहलवी

दिल में फिर वस्ल के अरमान चले आते हैं

बेख़ुद देहलवी

दे मोहब्बत तो मोहब्बत में असर पैदा कर

बेख़ुद देहलवी

बेवफ़ा कहने से क्या वो बेवफ़ा हो जाएगा

बेख़ुद देहलवी

ऐसा बना दिया तुझे क़ुदरत ख़ुदा की है

बेख़ुद देहलवी

आ गए फिर तिरे अरमान मिटाने हम को

बेख़ुद देहलवी

यूँही रहा जो बुतों पर निसार दिल मेरा

बेखुद बदायुनी

उन को दिमाग़-ए-पुर्सिश-ए-अहल-ए-मेहन कहाँ

बेखुद बदायुनी

नज़र की फ़त्ह कभी क़ल्ब की शिकस्त लगे

बेकल उत्साही

हम चटानों की तरह साहिल पे ढाले जाएँगे

बेकल उत्साही

ज़िंदा हूँ इस तरह कि ग़म-ए-ज़िंदगी नहीं

बहज़ाद लखनवी

उन को बुत समझा था या उन को ख़ुदा समझा था मैं

बहज़ाद लखनवी

दिल मेरा तेरा ताब-ए-फ़रमाँ है क्या करूँ

बहज़ाद लखनवी

सब ने ग़ुर्बत में मुझ को छोड़ दिया

बेदम शाह वारसी

क़फ़स की तीलियों से ले के शाख़-ए-आशियाँ तक है

बेदम शाह वारसी

काश मिरी जबीन-ए-शौक़ सज्दों से सरफ़राज़ हो

बेदम शाह वारसी

हम मय-कदे से मर के भी बाहर न जाएँगे

बेदम शाह वारसी

गुल का किया जो चाक गरेबाँ बहार ने

बेदम शाह वारसी

दिल लिया जान ली नहीं जाती

बेदम शाह वारसी

अल्लाह-रे फ़ैज़ एक जहाँ मुस्तफ़ीद है

बेदम शाह वारसी

ग़म-ए-आफ़ाक़ में आरिफ़ अगर करवट बदलता है

बेबाक भोजपुरी

फ़स्ल-ए-बहार जाने ये क्या गुल कतर गई

बेबाक भोजपुरी

ये मैं कहूँगा फ़लक पे जा कर ज़मीं से आया हूँ तंग आ कर

बयान मेरठी

यार पहलू में निहाँ था मुझे मा'लूम न था

बयान मेरठी

सुब्ह क़यामत आएगी कोई न कह सका कि यूँ

बयान मेरठी

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