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Collection: दिया Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 31 - Darsaal

दिया Poetry (page 31)

कम रंज मौसम-ए-गुल-ए-तर ने नहीं दिया

सलीम फ़राज़

मुझ को सज़ा-ए-मौत का धोका दिया गया

सलीम अंसारी

मुझे गिला न किसी संग का न आहन का

सलीम अहमद

हाल मत पूछ मोहब्बत का हवा है कुछ और

सलीम अहमद

और तो क्या दिया बहारों ने

सलीम अहमद

मशरिक़ हार गया

सलीम अहमद

उम्र भर काविश-ए-इज़हार ने सोने न दिया

सलीम अहमद

मिला जो काम ग़म-ए-मो'तबर बनाने का

सलीम अहमद

लम्हा-ए-रफ़्ता का दिल में ज़ख़्म सा बन जाएगा

सलीम अहमद

कोई सितारा-ए-गिर्दाब आश्ना था मैं

सलीम अहमद

ख़ुद अपनी लौ में था मेहराब-ए-जाँ में जलता था

सलीम अहमद

कल नशात-ए-क़ुर्ब से मौसम बहार-अंदाज़ा था

सलीम अहमद

जाने किसी ने क्या कहा तेज़ हवा के शोर में

सलीम अहमद

इश्क़ में जिस के ये अहवाल बना रक्खा है

सलीम अहमद

दीदनी है हमारी ज़ेबाई

सलीम अहमद

आ के अब जंगल में ये उक़्दा खुला

सलीम अहमद

गुल-ओ-ग़ुंचा अस्ल में हैं तिरी गुफ़्तुगू की शक्लें

सलाम संदेलवी

तरब-आफ़रीं है कितना सर-ए-शाम ये नज़ारा

सलाम संदेलवी

अवाम

सलाम मछली शहरी

न मौज-ए-बादा न ज़ुल्फ़ों न इन घटाओं ने

सलाम मछली शहरी

पहली नज़्म

सलाहुद्दीन परवेज़

मिरी रात खो गई है किसी जागते बदन में

सलाहुद्दीन परवेज़

मता-ए-होश यहाँ सब ने बेच डाली है

सलाहुद्दीन नय्यर

घर की दीवारों को हम ने और ऊँचा कर लिया

सलाहुद्दीन नदीम

क़ब्र में अब किसी का ध्यान नहीं

सख़ी लख़नवी

इश्क़ करने में दिल भी क्या है शोख़

सख़ी लख़नवी

इन को नफ़रत इसे क्या कहते हैं

सख़ी लख़नवी

दिल उसे दे दिया 'सख़ी' ही तो है

सख़ी लख़नवी

तस्वीरें

सज्जाद ज़हीर

ज़हर का सफ़र

सज्जाद बाक़र रिज़वी

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