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Collection: दिया Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 25 - Darsaal

दिया Poetry (page 25)

ऐ ख़ाल-ए-रुख़-ए-यार तुझे ठीक बनाता

शाह नसीर

उठती घटा है किस तरह बोले वो ज़ुल्फ़ उठा कि यूँ

शाह नसीर

ख़ानदान-ए-क़ैस का मैं तो सदा से पीर हूँ

शाह नसीर

ख़ाल-ए-रुख़ उस ने दिखाया न दोबारा अपना

शाह नसीर

जो रक़ीबों ने कहा तू वही बद-ज़न समझा

शाह नसीर

हुआ अश्क-ए-गुलगूँ बहार-ए-गरेबाँ

शाह नसीर

देख तू यार-ए-बादा-कश! मैं ने भी काम क्या किया

शाह नसीर

सुब्हा से है न काम न ज़ुन्नार से ग़रज़

शाह आसिम

मुझे साक़ी-ए-चश्म-ए-यार ने अजब एक जाम पिला दिया

शाह आसिम

मेहमाँ है कोई दम का ज़माना शबाब का

शाग़िल क़ादरी

तस्वीर-ए-इज़्तिराब सरापा बना हुआ

शफ़क़त काज़मी

हम न जाएँगे रहनुमा के क़रीब

शफ़ीउल्लाह राज़

तेज़ आँधी ने फ़क़त इक साएबाँ रहने दिया

शफ़ीक़ सलीमी

पर्दा पड़ा हुआ था ख़ुदी ने उठा दिया

शफ़ीक़ जौनपुरी

शब-ए-फ़िराक़ का मारा हूँ दिल-गिरफ़्ता हूँ

शफ़ीक़ देहलवी

मैं हम-नफ़स हूँ मुझे राज़-दाँ भी करना था

शफ़क़ सुपुरी

फिर उसी बुत से मोहब्बत चुप रहो

शादाब उल्फ़त

न जान कर गुल-ए-बाज़ी बहुत उछाल के फेंक

शाद लखनवी

मिस्ल-ए-ख़ंजर लेसान रखते हैं

शाद लखनवी

हम वो नालाँ हैं बोली-ठोली में

शाद लखनवी

हस्ती-ओ-अदम में नफ़स-ए-चंद बशर के

शाद लखनवी

गोश कर फ़रियाद-ए-आशिक़ जान कर

शाद लखनवी

दिल की कहूँ या कहूँ जिगर की

शाद लखनवी

जब किसी ने हाल पूछा रो दिया

शाद अज़ीमाबादी

तेरी ज़ुल्फ़ें ग़ैर अगर सुलझाएगा

शाद अज़ीमाबादी

ता-उम्र आश्ना न हुआ दिल गुनाह का

शाद अज़ीमाबादी

सियाहकार सियह-रू ख़ता-शिआर आया

शाद अज़ीमाबादी

कुछ कहे जाता था ग़र्क़ अपने ही अफ़्साने में था

शाद अज़ीमाबादी

काबा ओ दैर में जल्वा नहीं यकसाँ उन का

शाद अज़ीमाबादी

जिसे पाला था इक मुद्दत तक आग़ोश-ए-तमन्ना में

शाद अज़ीमाबादी

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