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Collection: दिन Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 55 - Darsaal

दिन Poetry (page 55)

मुझे फ़रेब-ए-वफ़ा दे के दम में लाना था

हिज्र नाज़िम अली ख़ान

फिर अँधेरी राह में कोई दिया मिल जाएगा

हिदायतुल्लाह ख़ान शम्सी

मुझे तेरी जुदाई का ये सदमा मार डालेगा

हिदायतुल्लाह ख़ान शम्सी

अपने कहते हैं कोई बात तो दुख होता है

हिदायतुल्लाह ख़ान शम्सी

कू-ए-जानाँ में अदा देखिए दीवानों की

हीरा लाल फ़लक देहलवी

फिर फ़ज़ा धुँदला गई आसार हैं तूफ़ान के

हज़ीं लुधियानवी

इस का नहीं है ग़म कोई, जाँ से अगर गुज़र गए

हज़ीं लुधियानवी

इस का नहीं है ग़म कोई जाँ से अगर गुज़र गए

हज़ीं लुधियानवी

हैरान सारा शहर था जिस की उड़ान पर

हज़ीं लुधियानवी

सिलसिला ख़्वाबों का सब यूँही धरा रह जाएगा

हयात लखनवी

सिलसिला ख़्वाबों का सब यूँही धरा रह जाएगा

हयात लखनवी

रातों को बुत बग़ल में हैं क़ुरआँ तमाम दिन

हातिम अली मेहर

रात दिन सज्दे किया करता है हूरों के लिए

हातिम अली मेहर

ज़िक्र-ए-जानाँ कर जो तुझ से हो सके

हातिम अली मेहर

न दिया बोसा-ए-लब खा के क़सम भूल गए

हातिम अली मेहर

का'बा-ओ-बुत-ख़ाना वालों से जुदा बैठे हैं हम

हातिम अली मेहर

बुतों का ज़िक्र करो वाइज़ ख़ुदा को किस ने देखा है

हातिम अली मेहर

तेरी बीनाई किसी दिन छीन लेगा देखना

हस्तीमल हस्ती

रात दिन नामा-ओ-पैग़ाम कहाँ तक दोगे

हसरत मोहानी

चुपके चुपके रात दिन आँसू बहाना याद है

हसरत मोहानी

याद कर वो दिन कि तेरा कोई सौदाई न था

हसरत मोहानी

मुक़र्रर कुछ न कुछ इस में रक़ीबों की भी साज़िश है

हसरत मोहानी

मुदावा-ए-दिल-ए-दीवाना करते

हसरत मोहानी

हुस्न-ए-बे-मेहर को परवा-ए-तमन्ना क्या हो

हसरत मोहानी

हम ने किस दिन तिरे कूचे में गुज़ारा न किया

हसरत मोहानी

चुपके चुपके रात दिन आँसू बहाना याद है

हसरत मोहानी

बेकली से मुझे राहत होगी

हसरत मोहानी

बाम पर आने लगे वो सामना होने लगा

हसरत मोहानी

यार इब्तिदा-ए-इश्क़ से बे-ज़ार ही रहा

हसरत अज़ीमाबादी

साक़ी हैं रोज़-ए-नौ-बहार यक दो सह चार पंज ओ शश

हसरत अज़ीमाबादी

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