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Collection: दिन Hindi Poetry | Best Hindi Shayari & Poems - Page 110 - Darsaal

दिन Poetry (page 110)

तुम्हें गिला ही सही हम तमाशा करते हैं

आतिफ़ कमाल राना

काग़ज़ क़लम दवात के अंदर रुक जाता है

अस्नाथ कंवल

तुम्हारी याद का साया न होगा

आसिम शहनवाज़ शिबली

असीरान-ए-क़फ़स ऐसा तो हो तर्ज़-ए-फ़ुग़ाँ अपना

आसी रामनगरी

बदन भीगेंगे बरसातें रहेंगी

आशुफ़्ता चंगेज़ी

सहीह कह रहे हो

आशुफ़्ता चंगेज़ी

आवारा परछाइयाँ

आशुफ़्ता चंगेज़ी

सदाएँ क़ैद करूँ आहटें चुरा ले जाऊँ

आशुफ़्ता चंगेज़ी

जिस से मिल बैठे लगी वो शक्ल पहचानी हुई

आशुफ़्ता चंगेज़ी

जिस की न कोई रात हो ऐसी सहर मिले

आशुफ़्ता चंगेज़ी

हवाएँ तेज़ थीं ये तो फ़क़त बहाने थे

आशुफ़्ता चंगेज़ी

बदन भीगेंगे बरसातें रहेंगी

आशुफ़्ता चंगेज़ी

गहरी सोचें लम्बे दिन और छोटी रातें

आनिस मुईन

नए ज़माने के नित-नए हादसात लिखना

आनन्द सरूप अंजुम

हर शय आनी-जानी है

आनन्द सरूप अंजुम

आज़माइश में कटी कुछ इम्तिहानों में रही

आनन्द सरूप अंजुम

अदा है ख़्वाब है तस्कीन है तमाशा है

आमिर सुहैल

अब तुम को ही सावन का संदेसा नहीं बनना

आमिर सुहैल

झिलमिलाते हुए दिन-रात हमारे ले कर

आलोक श्रीवास्तव

हमेशा ज़िंदगी की हर कमी को जीते रहते हैं

आलोक श्रीवास्तव

हमीं ने उन की तरफ़ से मना लिया दिल को

आले रज़ा रज़ा

हर इक जन्नत के रस्ते हो के दोज़ख़ से निकलते हैं

आल-ए-अहमद सूरूर

नुमूद-ए-क़ुदरत-ए-पर्वरदिगार हम भी हैं

आग़ा अकबराबादी

जीते-जी के आश्ना हैं फिर किसी का कौन है

आग़ा अकबराबादी

हमारे सामने कुछ ज़िक्र ग़ैरों का अगर होगा

आग़ा अकबराबादी

अदा से देख लो जाता रहे गिला दिल का

आफ़ताबुद्दौला लखनवी क़लक़

गुज़रे जो अपने यारों की सोहबत में चार दिन

ए जी जोश

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